लेदर इंडस्ट्री को मिल सकता है 4000 करोड़ रूपये का पैकेज, DIPP ने की मांग


डिपार्टमेंट आफ इंडस्ट्रियल पॅालिसी एंड प्रमोशन( डीआईपीपी) ने वित्त मंत्रालय से लेदर एंड फुटवीयर इंडस्ट्री का विस्तार करने के उद्देश्य से 4,000 करोड़ के पैकेज की मांग की है। डिपार्टमेंट ने कहा है कि यदि सरकार इस मांग को मंजूर करती है तो यह लेदर इंडस्ट्री के लिए एक गेम-चेंजर होगा। फाइनेंसियल न्यूज़ वेबसाइट मनीकंट्रोल […]


textile and leather sectors,डिपार्टमेंट आफ इंडस्ट्रियल पॅालिसी एंड प्रमोशन( डीआईपीपी) ने वित्त मंत्रालय से लेदर एंड फुटवीयर इंडस्ट्री का विस्तार करने के उद्देश्य से 4,000 करोड़ के पैकेज की मांग की है। डिपार्टमेंट ने कहा है कि यदि सरकार इस मांग को मंजूर करती है तो यह लेदर इंडस्ट्री के लिए एक गेम-चेंजर होगा।

फाइनेंसियल न्यूज़ वेबसाइट मनीकंट्रोल के मुताबिक डीआईपीपी के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि सरकार नई संशोधित पॅालिसी सेक्टर के लिए विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार कर चुकी हैं। चूँकि अब इंडियन लेदर डेवलपमेंट प्रोग्राम 12 वीं पंचवर्षीय के साथ ख़त्म हो चुकी है इसलिए अब सारी योजनाएं आगामी तीन सालों के लिए कार्यरत होंगी। हमने 2020 तक कुछ खर्चे का अनुमान लगाया है, जिसके लिए हम इस दिशा में 4,000 करोड़ रुपये की राशि पेश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि डीआईपीपी कौशल विकास, पर्यावरण, जल संसाधन, जल संसादन व चमड़ा सेक्टर से संबंधित सभी मंत्रालयों से उनकी राय का इंतजार कर रहा है। महीने के अंत तक इन मंत्रालयों के विचार आने के बाद वित्त मंत्रालय की व्यय वित्त समिति (ईएफसी) इस प्रस्ताव की जांच करेगी।

एक बार ईएफसी ने प्रस्तावित राशि को मंजूरी दी, तो पॉलिसी आकार ले लेगी। जिसे कैबिनेट जुलाई से शुरु करेगा।

2017-18 के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि चमड़ा और फुटवियर सेक्टर में रोज़गार पैदा करने के लिए एक विशेष योजना शुरू की जाएगी और यह पिछले साल कपड़ा क्षेत्र के लिए घोषित किए गए 6,000 करोड़ रुपये के फंड पैकेज के अनुरूप ही होगा।

डीआईपीपी, केंद्र सरकार की स्कीम आईएलडीपी के लिए नोडल एजेंसी है। जिसे 12 वीं योजना अवधि (2012-17) के दौरान 909 .36 करोड़ रुपये का परिव्यय दिया गया था। केंद्र ने चालू वित्त वर्ष में आईएलडीपी के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

आईएलडीपी का लक्ष्य चमड़ा इकाइयों को प्रौद्योगिकी उन्नयन के माध्यम से कच्चा माल उपलब्ध कराना, पर्यावरण संबधी चिंताओं, मानव संसाधन विकास को संबोधित करना और पारंपरिक चमड़े के कारीगरों को समर्थन देना, बुनियादी ढांचा की कमी को संबोधित करना व संस्थागत सुविधाओं की स्थापना करना है। जिसके लिए वह डीआईपीपी से उसका प्रोत्साहन चाहता है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि हमने अनुमान लगाया है कि 4000 करोड़ रुपये में आईएलडीपी के लिए 500 करोड़ रुपये पहले से ही आवंटित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना की व्यापक विशेषता इस योजना के साथ-साथ एक नई उप- योजना के माध्यम से रोजगार का सृजन करना है।

इस योजना से निर्यात को बढ़ावा मिलने का साथ साथ रोज़गार पैदा करने और विश्व स्तर पर चमड़े और फुटवियर उद्योग को प्रत्योगी बनाया जाएगा।

Shriddha Chaturvedi

ख़बरें ही मेरी दुनिया हैं, हाँ मैं पत्रकार हूँ

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