स्टार्टअप्स में निवेश करने वाले PE और VC फंड्स को टैक्स में छूट मिलेगी


स्टार्टअप में पैसा लगाने वाले प्राइवेट इक्विटी (PE) और वेंचर कैपिटल (VC) फंड्स को टैक्स में छूट मिलेगी। अनलिस्टेड शेयरों से होने वाली इनकम के ट्रांसफर को बिजनस इनकम नहीं बल्कि कैपिटल गेंस माना जाएगा, भले ही उससे कंट्रोल ट्रांसफर या मैनेजमेंट चेंज हुआ हो। ऐसे मामले में कई फंड्स को इनकम टैक्स अथॉरिटीज से […]


startup_4 resizeस्टार्टअप में पैसा लगाने वाले प्राइवेट इक्विटी (PE) और वेंचर कैपिटल (VC) फंड्स को टैक्स में छूट मिलेगी। अनलिस्टेड शेयरों से होने वाली इनकम के ट्रांसफर को बिजनस इनकम नहीं बल्कि कैपिटल गेंस माना जाएगा, भले ही उससे कंट्रोल ट्रांसफर या मैनेजमेंट चेंज हुआ हो।

ऐसे मामले में कई फंड्स को इनकम टैक्स अथॉरिटीज से कारण बताओ नोटिस मिला था। इस पर उनके अलावा स्टार्टअप्स ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) से संपर्क किया था। टैक्स में यह छूट सेबी के पास रजिस्टर्ड ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड की दोनों कैटिगरी को मिलेगा।

CBDT ने अपने फील्ड ऑफिसर्स को लेटर भेजा है, जिसके मुताबिक कंट्रोल या मैनेजमेंट में चेंज से संबंधित नियम ऐसे इन्वेस्टमेंट में लागू नहीं होंगे क्योंकि AIF खासतौर पर वेंचर्स के अनलिस्टेड शेयरों में इन्वेस्ट करते हैं, जिनमें ज्यादा स्टार्टअप्स होती हैं। ऐसे में उनके लिए बिजनस कंट्रोल और मैनेजमेंट अपने हाथ में लेना जरूरी हो जाता है। यह मुद्दा इसलिए बना है कि शेयर ट्रांसफर को बिजनस इनकम या फिर कैपिटल गेंस माना जाएगा, इस बाबत लंबे समय से विवाद चल रहा है।

सीबीडीटी ने फरवरी 2016 में एक क्लैरिफिकेशन के जरिए विवाद का निपटारा कर दिया था कि एक साल से ज्यादा समय तक रखे गए लिस्टेड शेयरों और सिक्यॉरिटीज के ट्रांसफर से होने वाली इनकम को कैपिटल गेंस माना जाएगा और उसी हिसाब से टैक्स लगेगा बशर्ते टैक्सपेयर खुद उसको स्टॉक इन ट्रेड न बता दे और उसको बिजनस इनकम की तरह ट्रांसफर करे।

जिन अनलिस्टेड शेयरों की ट्रेडिंग के लिए कोई बाजार नहीं है, उनके ट्रांसफर से होने वाली इनकम का टैक्स ट्रीटमेंट तय करने के लिए सीबीडीटी ने कहा है कि इससे होने वाली इनकम कुछ अपवादों के साथ कैपिटल गेन मानी जाएगी, भले ही होल्डिंग पीरियड कुछ भी हो। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि बोर्ड के क्लैरिफिकेशन से वह रिस्क खत्म करने में मदद मिलेगी जो ऐसे मामले में शेयरों की सेल से हासिल होने वाली रकम को बिजनस इनकम माने जाने पर हो सकता है।

अशोक माहेश्वरी ऐंड असोसिएट्स एलएलपी में पार्टनर अमित माहेश्वरी कहते हैं, ‘उनको बिजनस इनकम मानकर टैक्स लगाना बहुत बड़ा झटका हो सकता था क्योंकि ये लंबे समय तक इन्वेस्ट किए जाते हैं। इसमें उनको मॉरीशस, सिंगापुर और हॉलैंड जैसे अनुकूल टैक्स ट्रीटीवाले देशों के मुकाबले इंडेक्सेशन बेनेफिट्स या फुल कैपिटल गेंस एग्जेम्पशन से भी हाथ धोना पड़ जाता।’

ग्रांट थॉर्नटन इंडिया एलएलपी के नैशनल लीडर टैक्स विकास वसल ने कहा, ‘बोर्ड के क्लैरिफिकेशन से सरकार की तरफ से पहले जारी किए गए उस गाइडेंस में तय सिद्धांतों में अपवाद शामिल होने से हुई यह फिक्र और अस्पष्टता मिट गई है जिसमें कहा गया था कि अनलिस्टेड शेयरों के ट्रांसफर को कैपिटल गेंस माना जाएगा।’ हालांकि टैक्स एक्सपर्ट्स को आगामी बजट में इसको लेकर और स्पष्टता आने की उम्मीद है।

(By: दीपशिखा सिकरवार)

Source:The Economic Times

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