स्टार्टअप इंडिया के फायदे लेने के लिए पूरी करनी होंगी ये शर्तें


स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम से फायदा लेने के बारे में अगर सोच रहे हैं तो इसकी एक शर्त आप को पूरी करनी होगी। स्टार्टअप इंडिया के लिए क्वॉलिफाई करने की खातिर आपको यह बताना होगा कि आपके प्लान से कितने नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। दरअसल सरकार अपने सभी बड़े प्रोग्राम्स में रोजगार सृजन पर […]


digital-drive-tilts-hike-scale-in-favour-of-fintech-startupsस्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम से फायदा लेने के बारे में अगर सोच रहे हैं तो इसकी एक शर्त आप को पूरी करनी होगी। स्टार्टअप इंडिया के लिए क्वॉलिफाई करने की खातिर आपको यह बताना होगा कि आपके प्लान से कितने नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। दरअसल सरकार अपने सभी बड़े प्रोग्राम्स में रोजगार सृजन पर जोर बढ़ा रही है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘हम स्टार्टअप्स के लिए जल्द नई परिभषा नोटिफाई करेंगे। इस परिभाषा के दायरे में इनोवेशन के अलावा दूसरी बातें भी होंगी।’

स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम के तहत टैक्स छूट और पेटेंट फाइलिंग को फास्ट ट्रैक करने जैसे फायदे लेने के लिए स्टार्टअप्स के सामने इनोवेशन ही अभी प्रमुख शर्त है। नई परिभाषा के तहत क्वॉलिफाई करने के लिए किसी इकाई को बताना होगा कि वह रोजगार के कितने मौके बनाने वाली है। साथ ही, उसे कुछ वित्तीय मानकों पर खरा उतरना होगा। इसके अलावा अपने प्रॉडक्ट या सर्विस में इनोवेशन का पहलू तो उसे साबित करना ही होगा।

सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘टैक्स बेनेफिट्स देने के लिए आवेदनों की जांच के वक्त हम इन पहलुओं पर गौर करेंगे।’ पीएम नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2016 में जब स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम लॉन्च किया था, तो उसका असल फोकस देश में युवाओं के लिए रोजगार के मौके बनाने पर था, लेकिन इसे अनिवार्य शर्त के रूप में शामिल नहीं किया गया था। इस प्रोग्राम को अब तक बड़ी सफलता नहीं मिली है और एक अंतर-मंत्रालय बोर्ड ने केवल 10 स्टार्टअप्स को टैक्स बेनेफिट पाने लायक पाया है।

डीआईपीपी ने 798 ऐप्लिकेशंस को स्टार्टअप्स के रूप में स्वीकार किया था, लेकिन उन्हें उसने टैक्स बेनेफिट नहीं दिया। 31 मार्च 2016 के बाद गठित कंपनियां स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम के तहत अपने वजूद के पहले सात वर्षों में से तीन साल तक टैक्स छूट हासिल कर सकती हैं।

स्कीम का फायदा उठाने के लिए इन शर्तों को नरम बनाने की खातिर डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी ऐंड प्रमोशन ने सर्टिफिकेशन का वह सिस्टम खत्म कर दिया, जिसे स्टार्टअप्स को अपनी इनोवेशन संबंधी क्षमताओं के बारे में सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त इनक्यूबेटर से लेना था।

डीआईपीपी ने किसी बायोटेक्नॉलजी फर्म या मेडिकल डिवाइसेज फर्म के स्टार्टअप के रूप में क्लासिफिकेशन के लिए अधिकतम अवधि को भी पांच से बढ़ाकर 8-10 साल करने का कदम उठाया है। इसका सुझाव इस आधार पर दिया गया है कि इन दो सेक्टरों में कंपनियों के कारोबार शुरू करने में लंबा वक्त लगता है।

नैसकॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 तक इंडिया में स्टार्टअप्स से रोजगार के 2,50,000 मौके बन सकते हैं, जिनकी संख्या अभी करीब 80,000 है।

Source: Economic Times

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