हरियाणा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और प्रदेश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ई-वॉलेट कंपनी पेटीएम के साथ किया एमओयू रद्द कर दिया है।
यह एमओयू गत 23 फरवरी को नई दिल्ली में हरियाणा औद्योगिक अवसंरचना विकास निगम (एचएसआईआईडीसी) और पेटीएम के अधिकारियों के बीच हुआ था। इस पर एचएसआईआईडीसी की ओर से तत्कालीन एमडी सुधीर राजपाल और पेटीएम कंपनी (वन 97 कम्यूनिकेशन लिमिटेड) की ओर से सीएफओ मधुर देओरा ने हस्ताक्षर किए थे।
अब उद्योग विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुधीर राजपाल ने एमओयू कैंसिल होने की पुष्टि की है। माना जा रहा है वित्त विभाग की आपत्ति और कैप्टन के विरोध के बाद एमओयू कैंसिल किया है।
एचएसआईआईडीसी के सूत्रों ने बताया कि निजी कंपनी के साथ एमओयू करने पर वित्तमंत्री ने दो पेज का नोट लिखकर कड़ी आपत्ति जताई थी। अब सभी विभागों पर भी यह पाबंदी लगा दी कि बैंक अथवा वित्तीय संस्थाओं के साथ कोई भी एमओयू करने से पहले वित्त विभाग की अनुमति लेनी होगी। हालांकि सरकार ने जिस समय पेटीएम के साथ एमओयू किया था, तब भी सरकारी वॉलेट सुविधा होते हुए भी निजी कंपनी के साथ एमओयू को संदेह की नजरों से देखा जाने लगा था।
हरियाणा सरकार के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु सिंह ने कहा, “सभी विभागों को जनरल एडवाइजरी दी कि वे वित्त विभाग की पूर्वानुमति के बिना किसी भी बैंक अथवा वित्तीय संस्थान से एमओयू करें। सरकार और प्रदेश के हितों को देखते हुए वित्तीय संस्थाओं के साथ सरकारी बिजनेस, उनके इंपैनलमेंट को लेकर एक पॉलिसी तैयार की जा रही है, जो लागू की जाएगी।“
पेटीएम पर एमएसएमई को उनके पिछले ट्रांजेक्शन के आधार पर 3 से 6 महीने में कोलेट्रल फ्री ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जानी थी। एचएसआईआईडीसी के साथ मिलकर पेटीएम को राज्य में एक एक्सीलेंस सेंटर खोलना था। इसमें ट्रेनिंग स्किल डेवलपमेंट के लिए मैनपावर मुहैया कराई जानी थी। औद्योगिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में 200 लोगों को रोजगार मुहैया कराया जाना था।
राज्य में 1000 उद्यमियों को पेटीएम की सेवाएं लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना था। गांवों में बैंकिंग सेवाएं मुहैया करवाकर वित्तीय सेवाएं बढ़ाई जानी थीं। विभिन्न विभागों के साथ मिलकर पेटीएम लोगों को बिजली, पानी, गैस आदि बिल ऑनलाइन भरने की सुविधाएं उपलब्ध करवाती। हर साल 75,000 किसानों को जमीन अधिग्रहण के बदले दी जाने वाली वार्षिकी वितरण का काम पेटीएम को देने वाली थी।
Source: Bhaskar.com