Biz Astro | आने वाले समय में बड़े उद्योगों की अपेक्षा SMEs का योगदान अर्थव्यवस्था में बढ़ता दिखाई दे सकता है


वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा निरन्तर प्रयास किये जा रहे है अर्थतंत्र (इकॉनमी) को गति प्रदान करने के लिए, अर्थ तंत्र के लिए नवीनतम संसाधनों की शोध भी का जा रही है। जिसके उपलक्ष्य में कई महत्वपूर्ण कदम भी गत दिवसों में हमने उठते देखे हैं। विमुद्रीकरण के द्वारा बड़े नोटों का परिवर्तन करने का निर्णय करना […]


Astro Bizzवर्तमान केंद्र सरकार द्वारा निरन्तर प्रयास किये जा रहे है अर्थतंत्र (इकॉनमी) को गति प्रदान करने के लिए, अर्थ तंत्र के लिए नवीनतम संसाधनों की शोध भी का जा रही है। जिसके उपलक्ष्य में कई महत्वपूर्ण कदम भी गत दिवसों में हमने उठते देखे हैं।

विमुद्रीकरण के द्वारा बड़े नोटों का परिवर्तन करने का निर्णय करना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास दिखा। जिसके द्वारा सरकार का इरादा था अर्थतंत्र में मौजूद काले धन के स्रोतों को कुछ हद तक नियंत्रित करना। साथ ही साथ लघु एवं मध्यम उद्योग (SMEs) को हर संभव राहत देना भी सरकार की मंशा को दर्शाता है ।

भारत की आज़ादी के बाद से ही समय-समय पर मौजूदा स्थिति के आधार पर तत्कालीन सरकारों ने अर्थतंत्र को गति प्रदान करने के लिए कई प्रयास किये।

ज्योतिष संशोधन एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है अर्थ तंत्र को समझने के लिए।

ग्रह मण्डल पर अगर द्रष्टि डालते है तो मण्डल में मौजूद नवग्रहों की रश्मि वर्षा इन प्रयासों की पुष्टि करती है।

शनि का धनु राशि में प्रवेश 26 जनवरी को हुआ वह भी उस क्षण में जब बृहस्पति अपनी राशि परिवर्तन के अंतिम चरणों में है। शनि ग्रह का बृहस्पति से आगे निकल जाना काफी महत्वपूर्ण संकेत समझा जा सकता है। बृहस्पति को जहाँ पारंपरिक ज्योतिष में धन का कारक माना गया है, उसी परम्परा के द्योतक को शनि देव ने गति में पीछे छोड़ दिया।

परंपरागत भुगतान की अपेक्षा डिजिटल पेमेंट, आयात की अपेक्षा मेक इन इंडिया का प्रचार होना इन्हीं ग्रह रश्मियों का प्रभुत्व दर्शाता है। योगों की गहन महत्ता ज्योतिषी ग्रंथो में बताई गयी और वर्तमान आकाश मंडल में लक्ष्मी-नारायण योग के साथ-साथ लघु बिंदु योग का भी निर्माण हो रहा है ।

जहाँ शनि की महत्ता कुछ हद तक डिजिटल पेमेंट्स में दिखाई देती है वहीं लघु बिंदु योग का सीधा संबंध लघु और मध्यम उद्योग से दिख रहा है। समय-समय पर लघु उद्योगों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण निर्णय की श्रृंखला बनती दिखाई दे सकती है।

वर्तमान के साथ-साथ आने वाले समय में भी बड़े उद्योगों की अपेक्षा लघु और मध्यम उद्योगों का योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ता दिखाई दे सकता है, खास तौर पर उन इकाइयों में जहाँ विदेश से सम्बंधित आयात-निर्यात की संभावनाएं छुपी हुई हो।

अप्रैल 2017 के पश्चात् लघु बिंदु योग का प्रभाव अपने श्रेष्ठ तल पर रहने के कारण लघु और मझोले उद्योग जगत में गति के लक्षण और स्पष्ट रूप से दिखाई दे सकते है जिनमें नवीनतम तकनीक के संसाधनों का योगदान महत्वपूर्ण रह सकता है। तकनीकी क्षेत्रों का विकास और उनसे अन्य उद्योग को बढ़ावे सम्बंधित योजनाओं को बल भी मिल सकता है ।

राजनीतिक तौर पर अगर देखे तो मार्च में आने वाले चुनावों के नतीजे काफी हद तक देश के अर्थ तंत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे, जो भविष्य की गति और दिशा दोनों तय करेंगे। समय-समय पर गति में परिवर्तन भले हों पर निश्चित तौर पर प्रगति की यात्रा जारी रहेगी।

(ये लेख ज्योतिषीय संशोधन का हिस्सा मात्र है। इसके लेखक नवनीत ओझा ज्योतिष संशोधक एवं आध्यात्मिक साधक हैं। उपरोक्त व्यक्त किये गए विचार लेखक के अपने विचार हैं)

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