व्यवसायी जीवन का कोई ऐसा कार्य नहीं जो बिना कागज़ के पूरा हो सकता हो।
चाहे वो चालान के रूप में हो या बिल की कॉपी के रूप में, प्रिंटर के उपयोग के लिए हो अथवा चेक बुक इत्यादि में। कागज़ के बिना कोई कार्य आज के जीवन में संभव दिखाई नही देता।
दैनिक जीवन में आप किसी भी वस्तु को अगर देखें तो कहीं न कहीं कागज़ से जुड़ी ही पाई जायेगी।
यह एक ऐसा उद्योग है जिनमें अधिकतर छोटे व् मझोले स्तर की कंपनियां जुड़ी हुई हैं।
कागज़ से सम्बंधित इकाइयां आंध्र प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र और कर्नाटक आदि राज्यों में अधिकतम पायी जाती है।
पूरे कारोबार में इन राज्यों का योगदान 60 प्रतिशत से भी ज्यादा है।
बुध ग्रह को सदा से ही कागज़ व् लेखन से जोड़ कर देखा जाता रहा है भारत के परिपेक्ष्य में भी बुध काफी महत्वपूर्ण स्थान धारण करता है।
इसी महत्वपूर्ण कारक व् स्थिति के साथ-साथ सूर्य की युति का संग धारण करने से भारत कागज़ उत्पादन में विश्व के उच्च 20 देशों की सूची के भीतर आ जाता है।
वरुण मंडल की स्थिति होने से साथ ही साथ द्विस्वभावगत राशि का मंगल द्वारा प्रभावित होना उत्पादन की गति को दर्शाता है जो की दिखाई भी देता है जिसके कारण ये उद्योग निरंतर 5 से 6 प्रतिशत से भी अधिक प्रतिशत से आगे प्रगति कर रहे हैं।
पर्यावरण संबंधित क़ानून का पालन करते हुए व् कच्चे माल की कमी का सामना करते हुए भी आगे बढ़ने का साहस दिखाई देता है।
भविष्य की संभावनाओं की ओर दृष्टि करें तो सकारात्मक लक्षण ही नज़र आते हैं। समस्याएँ तो हैं परंतु साहस के बल पर यात्रा जारी रहेगी।
(उपरोक्त लेख मात्र वर्तमान स्थिति को समझने के लिए ज्योतिष संशोधन शोध का एक भाग है। इसके लेखक नवनीत ओझा ज्योतिष संशोधक एवं आध्यात्मिक साधक हैं। उपरोक्त व्यक्त किये गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।)