Biz Astro | खाद्यान्न तेलों के क्षेत्र में कार्य कर रही SMEs के लिए हैं अच्छे दिन


तेल देखो तेल की धार देखो। ये स्लोगन शायद हमारे देश के कई लोगो ने सुना होगा, अथवा वे अपने दैनिक जीवन में इस स्लोगन को बात बातचीत के दौरान इस्तेमाल भी करते होंगे। भारतीय घरेलु जीवन में खाद्य तेलों का उपयोग बहुतायत में होता आया है। परम्परागत शैली में भी सामूहिक भोज जो की हमारे […]


Astro1तेल देखो तेल की धार देखो। ये स्लोगन शायद हमारे देश के कई लोगो ने सुना होगा, अथवा वे अपने दैनिक जीवन में इस स्लोगन को बात बातचीत के दौरान इस्तेमाल भी करते होंगे।

भारतीय घरेलु जीवन में खाद्य तेलों का उपयोग बहुतायत में होता आया है। परम्परागत शैली में भी सामूहिक भोज जो की हमारे यहाँ सामान्य तौर पर आम बात है, काफी बड़े स्तर पर इसकी जरुरत पड़ती है।

ख़ाद्य तेलों की अगर बात करे तो नारियल, सरसों, तिल, मूंगफली इत्यादि का चलन ही घरेलु उपयोग में अधिक हुआ करता था। परंतु समय परिवर्तन के साथ साथ कुछ बदलाव आये जिससे अन्य प्रकार के तेलों का चलन भी काफी बढ़ा जैसे सूर्यमुखी, कपास, राइस ब्रान, जैतून, सोयाबीन इत्यादि।

इस क्षेत्र में देश के आम आदमी से लेकर अति महत्वपूर्ण लोग भी जुड़े हुए है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार विश्व की अर्थव्यवस्था में तिलहनों के उत्पाद का 6 से 7 प्रतिशत योगदान भारत की तरफ से होता है।

भारत विश्व में खाद्यान्न तेलों के उच्चतम उपयोगकर्ता देशों में से एक है जिसमें ज्यादातर पूर्ति आयात से होती है जो की मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों से अधिकतम मात्रा में किया जाता है।

छोटे व् मझोले उद्योग (SMEs) काफी मात्रा में इस व्यापार में शामिल है जोकि भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

ज्योतिषीय विश्लेषण जब करते हैं तो पाते हैं कि शनि बुध व् चंद्र इस क्षेत्र से सम्बन्ध रखते हैं। वहीँ शुक्र का सीधा संबंध खाध पदार्थ से जुड़ा हुआ है ।

पारंपरिक रूप से भी भारतीय संस्कृति के अधिकतर लोगों को ज्ञात है कि शनि को अक्सर तेल से जोड़ कर देखा ही जाता है।

शनि जहां भारतीय  क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण योगदान देने वाला ग्रह है साथ ही साथ बुध व्यापार का कारक माना गया।

भारत की कुंडली का जब विश्लेषण करते हैं तब शनि बुध व् शुक्र चन्द्र का समूह बना हुआ है जो की इस उद्योग से जुड़े महत्व को प्रतिपादित कर रहा है।

चन्द्र जहाँ आयात के ऊपर की निर्भरता को संकेत करता है वहीँ गुरु की सप्तम दृष्टि इस संकेत की और मज़बूती से पुष्टि कर देती है।

छोटे व् मझोले उद्योग जो काफी मात्रा में इस क्षेत्र से संलग्न है वे भारत की अर्थव्यवस्था में इसी तरह काफी महत्व पूर्ण योगदान देते रहेंगे।

बीते दशक में जहां शुक्र राशिमयों का विशेषत प्रभाव हो रहा था उस समय में जहां नागरिको की जीवन शैली में परिवर्तन हुआ वहीँ खाद्यान तेल से सम्बंधित निर्यात की मात्रा काफी हद तक बढ़ती हुई पायी गयी।

व्यापारिक दृष्टि से भी संकेत जो ग्रह मंडल से प्राप्त होते है वो इस क्षेत्र  के लिये काफी आशास्पद है।

(उपरोक्त लेख मात्र वर्तमान स्थिति को समझने के लिए ज्योतिष संशोधन शोध का एक भाग है। इसके लेखक नवनीत ओझा ज्योतिष संशोधक एवं आध्यात्मिक साधक हैं। उपरोक्त व्यक्त किये गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।)

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