अर्थव्यवस्था की गति से सीधा जुड़ा कोई क्षेत्र है तो सीमेंट उद्योग् उनमें से एक है। भारतीयअर्थ तंत्र इस समय विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थ व्यवस्थाओं में काफी आगे का स्थान रखता है जिसमें सीमेंट व् निर्माण क्षेत्र काफी अहम भूमिका अदा करते है।
भारतीय ग्रह योग पर जब दृष्टि करते हैं तो समूह के स्वरूप में एक योग बना हुआ है जो की निर्माण क्षेत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा सकता है।
साथ ही साथ मंगल का मिथुन राशि में स्थित होना सीमेंट क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण संकेत दे जाता है। सीमेंट और निर्माण का भारतीय अर्थतंत्र को मजबूती से सहयोग देने में मंगल व् गुरु का विशेष योगदान है।
पंचात्मक योग में सीधा सूर्य ऊर्जा का प्रभाव होने से ये उद्योग् काफी अच्छी गति से आगे बढ़ रहा है जिसका प्रतिशत 10 के करीब है जो की विश्व अनुपात से ऊपर ही है।
सूर्य व् गुरु के प्रभाव से सरकार द्वारा भी भिन्न-भिन्न प्रोत्साहक योजनाओं को बल दिया जा रहा है जिसके कारण सीमेंट के क्षेत्र को फायदा पहुँच सकता है। निर्माण का क्षेत्र किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के उदय का एक कारक होता है और वो इसे नजरंदाज नहीं कर सकते। ज्ञात रहे 2012 के लगभग अमेरिकी सत्ता को भी संकट का सामना करना पड़ा जिसके मूल में निर्माण क्षेत्र की कमजोरी ही था।
10 लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सीमेंट क्षेत्र से जुड़े हुए है, रोज़गार के लिए ये खुद तो महत्वपूर्ण हैं ही परंतु अप्रत्यक्ष रूप से भी काफी रोजगार प्राप्ति के साधनों का निर्माण इस क्षेत्र के जरिये होता है जिसके कारण भी इसको महत्ता प्रदान करनी पड़ती है।
सीमेंट का सीधे सम्बन्ध चुने पत्थर खान खदान से है जो की मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में पाई जाती है।
सरकार भी खान-खदानों सम्बंधित विधेयकों से सहूलियत प्रदान करती दिखाई देती है जिससे विकास का मार्ग अवरूद्ध न हो।
वर्ष के आने वाले माह में शनि का धनु व् वृश्चिक राशियों पर नियंत्रण काफी महत्वपूर्ण रहेगा जिसमें खान-खदानों सम्बंधित उद्योग जो की खनिज पदार्थों से जुड़े हुए हैं को कुछ हद तक लाभ पहुंचा सकता है इनमें से सीमेंट भी एक है।
भारतीयअर्थ तंत्र काफी मज़बूती से आगे बढ़ रहा है चलिये इसके विकास पथ में हम भी अपना योगदान अर्पित करें।
(उपरोक्त लेख मात्र वर्तमान स्थिति को समझने के लिए ज्योतिष संशोधन शोध का एक भाग है। इसके लेखक नवनीत ओझा ज्योतिष संशोधक एवं आध्यात्मिक साधक हैं। उपरोक्त व्यक्त किये गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।)