केंद्र तथा राज्यों ने 20 लाख रुपये सालाना तक के कारोबार वाले छोटे व्यापारियों को जीएसटी के लिए पंजीकरण नहीं कराने की छूट दी है।
साथ ही किसानों को भी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत पंजीकरण से छूट देने का फैसला किया है।
जीएसटी परिषद ने आयुक्त स्तर के अधिकारियों को करदाताओं को कर किस्तों में जमा कराने की छूट देने का भी अधिकार दिया है ताकि करदाता इकाइयों को वित्तीय समस्या से निपटने में राहत मिल सके।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने केंद्रीय जीएसटी, सी-जीएसटी, एकीकृत जीएसटी और आई-जीएसटी विधेयकों को आज मंजूरी दे दी। इससे अगले सप्ताह से शुरू संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में इसे पेश करने का रास्ता साफ हो गया है।
परिषद में सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व है। परिषद ने पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों को छोडक़र सभी राज्यों के लिये 20 लाख रुपये की आय सीमा रखने का फैसला किया है। पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिये सीमा 10 लाख रुपये होगी।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”किसी कारोबारी इकाई का सालाना कारोबार 20 लाख रुपये होने पर उसे जीएसटी व्यवस्था में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि वह कच्चे एवं मध्यवर्ती पर दिये गये कर पर छूट क्रेडिट का हिस्सा बनने के लिये स्वेच्छा से इससे जुडऩे का विकल्प चुन सकता है।”
बयान के अनुसार खेती-बाड़ी करने वालों जो खेती से उत्पन्न उपज की आपूर्ति करता है को जीएसटी व्यवस्था के तहत पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी। निर्यातकों के संदर्भ में परिषद ने तय किया है कि 90 प्रतिशत रिफंड दावा का निस्तारण आवेदन देने के सात दिनों के भीतर किया जाएगा।
परिषद ने करदाताओं के लिये रिटर्न फाइल करने, कर का भुगतान और अन्य अनुपालन जरूरतों को पूरा करने के लिये राज्यवार एकल पंजीकरण का फैसला किया है।
मंत्रालय ने कहा, ”ज्यादातर अनुपालन जरूरतों को आनलाइन पूरा किया जाएगा। अत करदाता और कर अधिकारी के बीच आमना-सामना की गुंजाइश कम होगी।’
Source: Samacharjagat.com