GST लागू होने से भारत की आर्थिक वृद्धि दर 8% से अधिक हो सकती है: IMF


अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से उसकी जीडीपी वृद्धि मध्यम अवधि में 8 प्रतिशत से अधिक हो सकती है। साथ ही वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही बेहतर तरीके से करने के लिये एकल राष्ट्रीय बाजार सृजित करने में मदद मिलेगी। लेकिन आईएमएफ ने जीएसटी […]


tax-3अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से उसकी जीडीपी वृद्धि मध्यम अवधि में 8 प्रतिशत से अधिक हो सकती है।

साथ ही वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही बेहतर तरीके से करने के लिये एकल राष्ट्रीय बाजार सृजित करने में मदद मिलेगी।

लेकिन आईएमएफ ने जीएसटी क्रियान्वित करने को लेकर चिंता भी जतायी है।

आईएमएफ ने भारत पर अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा गया है, “हालांकि जीएसटी की रूपरेखा और उसके क्रियान्वयन की गति के इर्द-गिर्द कुछ अनिश्चितताएं बनी हुई है। इसे अपनाये जाने से भारत की जीडीपी वृद्धि दर मध्यम अवधि में आठ प्रतिशत से अधिक पहुंचाने में मदद मिलेगी क्योंकि यह एकल राष्ट्रीय बाजार सृजित करेगा और वस्तुओं एवं सेवाओं की देश में आवाजाही बेहतर होगी।”

मुद्राकोष ने कहा कि जीएसटी से उम्मीद की तुलना में अधिक लाभ होगा तथा आगे और संरचनात्मक सुधारों से वृद्धि को मजबूती मिलेगी। साथ ही सतत अवधि में लगातार वैश्विक ऊर्जा की कीमतें नरम रहने से भारत को लाभ होगा।

रिपोर्ट के अनुसार भारत का कर राजस्व-जीडीपी अनुपात (17.5 प्रतिशत) अन्य उभरते बाजारों की तुलना में कम है। जीएसटी के वृद्धि पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए प्राथमिक आधार पर इसका क्रियान्वयन होना चाहिए।

इसमें कहा गया है कि जीएसटी से मौजूदा अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में उल्लेखनीय सुधार होगा। साथ ही कर सुधार जारी रहेगा जिसमें कंपनी कर की दर चरणबद्ध तरीके से चार साल में 30 प्रतिशत से 25 प्रतिशत पर लाया जाएगा।

जीएसटी ज्यादातर मौजूदा अप्रत्यक्ष कर को समाहित करेगा जिसमें उत्पाद शुल्क, बिक्री और सेवा कर शामिल हैं जिससे चीजें आसान होंगी। भारत सरकार एक जुलाई से जीएसटी लागू करने की उम्मीद कर रही है।

‘नोटबंदी के बाद भारत की जीडीपी वृद्धि दर घटकर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान’

आईएमएफ ने 22 फरवरी को कहा कि नोटबंदी से उपजी ‘उपजी अस्थायी’ बाधाओं के कारण अर्थव्यवस्था में आए तनाव से भारत की वृद्धि दर 2016-17 में घटकर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

अपनी सालाना रपट में हालांकि आईएमएफ ने कहा है कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर केवल फौरी असर होगा यह अगले कुछ साल में आठ प्रतिशत से अधिक की अपेक्षित वृद्धि दर की राह पर लौट आएगी।

भारत पर अपनी सालाना रपट में आईएमएफ ने कहा है कि 8 नवंबर 2016 के बाद नकदी की कमी तथा भुगतान दिक्कतों में खपत व व्यापार गतिविधियों को कमतर आंका गया और वृद्धि के क्रम को बनाए रखने के सामने एक नयी चुनौती खड़ी हुई।

इसने कहा है, “वित्त वर्ष 2016-17 में वृद्धि दर घटकर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह 2017-18 में बढ़कर 7.2 प्रतिशत रहना अनुमानित है।”

आईएमएफ ने कहा है कि नकदी की कमी के कारण विशेषकर निजी खपत से फौरी बाधाओं का असर वृद्धि पर पड़ेगा। रपट में कहा गया है कि नकदी की कमी दूर होगी तो अनुकूल मानसून, तेल की नीची कीमतों व आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर करने की दिशा में सतत प्रगति से वृद्धि को समर्थन मिलेगा।

Source: Jansatta

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