मध्य प्रदेश कपड़ा मिल्स एसोसिएशन का कहना है कि सरकार, कॉटन और मानव-निर्मित फाइबर (MMF) उत्पादों को जीएसटी की सबसे कम दर वाली स्लैब में रखे। लंबित जीएसटी बिल के जुलाई 2017 से लागू होने की उम्मीद है।
एसोसिएशन का कहना है कि सरकार मध्य प्रदेश के टेक्सटाइल उद्योग के लिए एक उचित वातावरण बनाने के लिए मानव-निर्मित फाइबर पर एक्साइज ड्यूटी को कम करें। अभी MMF और उसके उत्पादों पर उत्पाद शुल्क वर्तमान दर के अनुसार 12.5 प्रतिशत है। जो अन्य कपड़ा उत्पादों की तुलना में हमारे प्रोडक्ट को महंगा बनाते हैं। इसीलिए उद्योग को उचित माहौल देने के उद्देश्य से इसे 6 प्रतिशत किया जाए।
देश में MMF की खपत वैश्विक बाजार में 70 फीसदी के मुकाबले केवल 40 प्रतिशत है। जिसके बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
इंडस्ट्री ने ऊन फाइबर पर आयात शुल्क वापस लेने के लिए भी सरकार से कहा है क्योंकि एसोसिएशन का कहना है कि ऊनी उद्योग पूरी तरह से आयात पर निर्भर है।
टेक्सटाइल और गारमेंट इंडस्ट्री में नोटबंदी के कारण उत्पादन में 20 से 30 फासदी की गिरावट हुई है जिससे इंड़स्ट्री को बड़ा धक्का लगा है। साथ ही इंडस्ट्री का कहना है कि बैंक ब्याज दरों में 5 प्रतिशत तक कटौती करे जो मौजूदा समय में 12 से लेकर 14 फासदी है। इंडस्ट्री के अनुसार प्रतियोगी देश चीन और वियतनाम में ब्याज दरें 5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत तक हैं।