भारत के स्टार्टअप्स में वैश्विक निवेशकों की खत्म होती दिलचस्पी को बढ़ाने की कवायद में सरकार बजट में कुछ प्रस्ताव ला सकती है। इनमें प्रमुख निवेशकों (ऐंजल इन्वेस्टर्स) के लिए शून्य प्रतिशत पूंजीगत लाभ कर प्रावधान हो सकता है, जो कंपनियों के शुरुआती स्तर पर धन लगाते हैं।
कंपनी की शुरुआती स्तर पर प्रमुख निवेशकों को सबसे ज्यादा जोखिम होता है और मौजूदा कर ढांचे में कम जोखिम वाली कंपनियों के लिए, ज्यादा जोखिम वाली कंपनियों की तुलना में कम कर देयता होती है। सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के मामले में दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर शून्य प्रतिशत होता है।
मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध शेयरों की बिक्री पर लगने वाले प्रतिभूति लेन देन कर को देखते हुए ऐसा किया गया है।
आईटी मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक आगामी बजट में सरकार उन प्रमुख निवेशकों के लिए दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर का प्रावधान करने की योजना बना रही है, जो शुरुआती स्तर की कंपनियोंं में धन का निवेश करते हैं।
इसी तरह से सरकार बजट में शुरुआती स्तर की कंपनियों में निवेश करने वाले प्रमुख निवेशकों के लिए 15 प्रतिशत कम अवधि पूंजीगत लाभ कर का प्रावधान करने पर विचार कर रही है। सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरोंं में 15 प्रतिशत कम अवधि पूंजीगत लाभ कर का प्रावधान है और प्रमुख निवेशकों पर लागू दरें करदाता के आयकर ढांचे के मुताबिक हैं।
उद्योग जगत के विशेषज्ञों के मुताबिक बजट में इन सुधारों की बहुत जरूरत है, जिससे निवेशकों का विश्वास हासिल किया जाए, जिन पर पिछले साल बहुत बुरा असर पड़ा है।
इंडियन ऐंगल नेटवर्क के चेयरमैन सौरभ श्रीवास्तव ने कहा, “इन सुधारों के लिए अभी अनुरोध किया गया है और अगर ऐसा होता है तो बेहतर होगा।अगर कोई व्यक्ति शुरुआती स्तर के स्टार्टअप में निवेश करता है तो वह बड़ा जोखिम लेता है और उसे बुरे प्रभाव से बचाने की जरूरत है। तार्किक यह होगा कि कर ढांचे को ज्यादा अनुकूल बनाया जाए।”
पिछले साल भारत के स्टार्टअप में होने वाला निवेश 2015 में हुए निवेश की तुलना में घटकर आधे से भी कम रह गया था। सरकार ने स्टार्टअप इंडिया और वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित करने के कार्यक्रम 2016 में किए, लेकिन यह साल इस क्षेत्र के लिए खराब बना रहा। 2015 में 1005 सौदों के माध्यम से करीब 9 अरब डॉलर निवेश हुआ, वहीं पिछले साल इसमें 55 प्रतिशत की गिरावट आई और 1040 सौदों के माध्यम से महज 4 अरब डॉलर निवेश हुआ।
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पता चलता है कि प्रमुख निवेशक बड़े जोखिम लेने को तैयार नहीं थे। पिछले साल विभिन्न क्षेत्रों के स्टार्टअप में कई कंपनियों को कारोबार बंद करना पड़ा। धन की कमी और कुप्रबंधन की वजह से ऐसा हुआ। कम से कम 22 फूड टेक कंपनियां, 7 ऑनलाइन मॉर्केटप्लेस, 3 लॉजिस्टिक कंपनियां बंद हुईं।
Source: The Business Standard