भारत के “निटवेयर कैपिटल” (Knitwear Capital) तिरुपुर ने टेक्सटाईल सेक्टर की एमएसएमई के विकास के लिए आगामी बजट में विश्व स्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाएँ, अनुसंधान एवं विकास (आर एण्ड डी) सेंटर और इन्क्यूबेशन सेंटर की मांग की है।
फिलहाल तिरुपुर और अन्य क्लस्टर बुनियादी शैली के कपड़ों पर ही केंद्रित हैं। क्लस्टर की वैल्यू चेन को आगे बढ़ाने के लिए आधुनिक और यूनिक क्षेत्रों की ओर ध्यान केंद्रित करने की सख्त जरूरत है। टेक्सटाईल सेक्टर की प्रोडक्ट रेंज का विस्तार करने के लिए टेक्निकल टेक्सटाईल, स्पोर्ट्स वियर, प्रोटेक्टिव टेक्सटाईल, आदि को शामिल करने का स्कोप है।
वित्त मंत्रालय को प्रस्तुत किये गये पूर्व-बजट मेमोरेन्डम (ज्ञापन) में तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने कहा, “तकनीकी टेक्सटाईल के लिए प्रस्तावित विश्व स्तरीय डिजाइन स्टूडियो, आर एण्ड डी केंद्र और इन्क्यूबेशन सेंटर से न केवल मौजूदा कारोबार का तेजी से विकास होगा, बल्कि यूनिक क्षेत्रों में तेजी से विकास का अवसर मिलेगा।”
एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजा एमषणमुघम का कहना है, “टेक्सटाईल उद्योग को जीएसटी की न्यूनतम स्लैब में रखा जाना चाहिए ताकि व्यापार पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़े बिना उद्योगी कर का भार उठा सकें।”
परिधान विनिर्माण रोजगार के बड़े अवसर उत्पन्न करने की क्षमता रखता है जिस कारण सरकार इसके निर्यात को तीन गुना बढ़ाने पर जोर दे रही है। सरकार के इस प्रयास को ध्यान में रखते हुए निर्यातकों ने कर और ब्याज दर में कटौती के साथ-साथ प्रोत्साहन राशि में वृद्धि की भी मांग की है।
तिरुपुर की ही एक अन्य एसोसिएशन, तिरुपुर एक्स्पोर्टर्स एण्ड मेनुफैक्च्युरर्स एसोसियेशन के अध्यक्ष एम पी मुथुरथिनम कहते हैं, “उत्पाद शुल्क कम किया जाना चाहिए और निर्यात व्यापार के लिए ड्यूटी ड्रॉबैक (शुल्क वापसी) की वृद्धि की जानी चाहिए। भारत में ड्यूटी ड्रॉबैक पहले 27 फीसदी हुआ करती थी। उस समय निर्यात व्यापार का विकास अपनी चरम पे था। अब यह सिर्फ 7 प्रतिशत ही रह गयी है और सरकार द्वारा इसमें दी जाने वाली बढ़ोत्तरी बहुत कम है (1 से 0.50 प्रतिशत), जो वास्तविक्ता में पर्याप्त नहीं है। इसलिए इसकी दोगुनी वृद्धि होनी चाहिए।”
इनके अलावा, देश की इस निटवियर राजधानी ने सिल्क बोर्ड और कयर बोर्ड के समान निटवियर क्षेत्र के लगातार विकास के लिए एक डेडिकेटेड एजेंसी के गठन की बात भी रखी है।
आज देश से होने वाले निटवियर निर्यात में तिरुपुर 46% योगदान दे रहा है और केवल कॉटन (कपास) आधारित वस्त्र निर्यात करता है। इस शहर से होने वाला निटवियर एक्सपोर्ट, जो 1984 में 10 करोड़ रुपये से भी कम था, अब कई गुना बढ़कर 23,000 करोड़ रुपये का हो गया है। तिरुपुर छह लाख श्रमिकों को सीधे, और लगभग दो लाख प्रवासी श्रमिकों को परोक्ष रूप से, रोजगार प्रदान कर रहा है।