उत्तरप्रदेश की नई योगी सरकार की 4 अप्रैल (मंगलवार) को हुयी पहली कैबिनेट बैठक में नई उद्योग नीति बनाने का फैसला लिया गया है।
सरकार का कहना है कि इससे राज्य के उद्योगों का बड़े पैमाने पर विकास होगा और युवाओं को रोजगार मिलेगा।
इस घोषणा के बाद से राज्य के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) में एक उम्मीद जगी है। गौरतलब है कि साल 2012 में सपा सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी ऐसी ही घोषणा की थी लेकिन वो परवान नहीं चढ़ पायी।
राज्य में अभी 44 लाख MSMEs हैं जिनमें से सिर्फ 2 लाख ही रजिस्टर्ड हैं। MSME सेक्टर राज्य में 92 लाख लोगों को रोजगार देता है और राज्य के सालाना औद्योगिक उत्पादन में इसका योगदान 60 फीसदी है। इसीलिए इस सेक्टर का विकास बहुत आवश्यक है।
प्रदेश में पूंजी निवेश को बढ़ाने के लिए नई उद्योग नीति का बनना अत्यंत आवश्यक है। नई उद्योग नीति को किस प्रकार बनाया जाए, इसके लिए सरकार ने उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया है।
सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्योग नीति के प्रारुपों को तैयार करने के लिए नए मंत्रिसमूह का गठन किया है। यह मंत्रिसमूह कई राज्यो में जाकर वहाँ की उद्योग नीतियों को समझेगें, फिर ड्राफ्ट बनाकर मुख्यमंत्री को सौंपेगें। इस समूह में राज्य के वित्त मंत्री राजेश अगरवाल भी शामिल हैं।
शर्मा ने कहा कि इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की व्यापारिक व्यवस्था को सही करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से कैसे एक मजबूत व सफल उद्योग नीति बनायी जा सकती है इसके उपायों पर भी चर्चा की जाएगी।
सरकार ने अपनी पहली कैबीनेट की बैठक में अपने संकल्प पत्र के चुनावी वादों को पूरा करते हुए कई अहम फैसले लिए हैं। जिसमें लघु एवं सीमान्त किसानों का 1 लाख रुपये तक का कर्ज माफ करना आदि शामिल हैं।