नई दिल्ली : बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने पर राज्यों को होने वाली राजस्व क्षति के लिए सरकार अगले वित्त वर्ष अनुदान की पूरक मांगों के माध्यम से धन देगी। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए केंद्र ने आम बजट 2017-18 में जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिए टोकन राशि का आवंटन कर दिया है।
जीएसटी एक जुलाई 2017 से लागू होगा। जीएसटी लागू होने पर राज्यों को लगभग 55,000 करोड़ रुपये की राजस्व क्षति होने का अनुमान है। हालांकि आठ नवंबर, 2016 को सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद कई राज्यों ने क्षतिपूर्ति की राशि बढ़ाने की मांग की है। खासकर पश्चिम बंगाल और केरल की दलील है कि नोटबंदी से उन्हें राजस्व हानि हुई है। हालांकि केंद्र ने अब तक इन राज्यों की इस दलील को खारिज किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि जिन राज्यों में वैट प्रशासन बेहतर है वहां पर नोटबंदी के बाद राजस्व संग्रह बढ़ा है।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकार ने आम बजट 2017-18 में जीएसटी लागू होने पर राज्यों को होने वाली क्षतिपूर्ति के लिए दो लाख रुपये टोकन राशि आवंटित की है। वित्त मंत्रालय ने राजस्व विभाग की अनुदान मांगों में यह प्रावधान किया है। सूत्रों का कहना है कि जीएसटी लागू होने पर वास्तविक क्षतिपूर्ति का पता चलेगा जिसके लिए मंत्रालय अनुदान की पूरक मांगों में इसके लिए जरूरी आवंटन करेगा। ऐसा होने पर सरकार को कुल व्यय और राजस्व प्राप्तियों के बजटीय अनुमानों की भी समीक्षा करनी पड़ेगी।
जीएसटी लागू होने पर केंद्र के सेवा कर और उत्पाद शुल्क तथा राज्यों के वैट सहित कई परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे। जीएसटी के लिए पारित संविधान संशोधन विधेयक के प्रावधानों के अनुसार 16 सितंबर 2017 से पहले जीएसटी लागू किया जाना है।
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी एक जुलाई से लागू होगा, इसलिए क्षतिपूर्ति की पूर्व निर्धारित 55,000 रुपये की राशि में कमी आ सकती है क्योंकि यह अनुमान पूरे वित्त वर्ष के लिए था। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार के खजाने पर जीएसटी क्षतिपूर्ति से शायद ज्यादा बोझ न पड़े।
इस बीच जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक 18 फरवरी को होने जा रही है जिसमें क्षतिपूर्ति विधेयक सहित जीएसटी के सभी विधेयकों के मसौदे को मंजूरी दी जानी है।
Source: Jagran