वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर 16 जनवरी को होने वाली बैठक में अहम फैसला हो सकता है। आज होने जा रही जीएसटी की नौवीं बैठक में सरकार राज्यों के बीच सहमति बनाने पर जोर देगी।
राज्यों की मांग है सलाना डेढ करोड़ तक का व्यापार करने वाली इकाईयों पूर्ण रुप से उनके अधिकार क्षेत्र में आनी चाहिए। आज की मीटिंग में यह एक अहम मुद्दा होगा। हालांकि केंद्र इस इसके लिए तैयार नहीं है।
सरकार का कहना है कि अभी राज्यों को सेवा कर वसूली क्षेत्र में कोई ख़ास अनुभव नहीं है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की मौजूदगी में हुयी आठवीं मीटिंग में कई मुद्दों पर राज्यो और केंद्रों के बीच सहमति नहीं बन पायी थी। जेटली पिछली मीटिंग में उम्मीद जतायी थी कि राज्यों औऱ केंद्रों के बीच आम राय जल्द बनेगी।
जेटली दोहरी एजेंसियों की ऑडिटिंग तथा प्रत्येक करदाता की जांच के पक्ष में भी नहीं हैं। वित्त मंत्री ने पिछले सप्ताह उम्मीद जताई थी कि नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को एक अप्रैल से लागू करने के लिए लंबित मुद्दों को सुलझा लिया जाएगा।
जेटली ने कहा था कि हमने कई मुद्दों पर एक राय बना ली है, बाकी मुद्दों को भी जल्द हल कर लिया जाएगा। लंबित बिल को हर संभव प्रयास करके 1 अप्रैल तक लागू करने की कोशिश की जाएगी।
इससे पहले आखिरी मीटिंग 4 जनवरी को हुयी थी लेकिन विरोध के चलते मीटिंग का कोई सफल परिणाम नहीं मिला था। इसीलिए जीएसटी का 1 अप्रैल 2017 से लागू होना मुश्किल में है।