केंद्र सरकार ने कर चोरी और कालेधन पर अंकुश के लिए बजट में घोषित नकद लेनदेन की सीमा 3 लाख रुपये से घटाकर 2 लाख रुपये कर दी है। इससे खासकर थोक बाजारों के कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। सबसे ज्यादा नुकसान थोक बाजारों के केंद्र दिल्ली व मुंबई के कारोबारियों को होगा।
ऐसा इसलिए क्योंकि इन बाजारों में कारोबारियों के बीच भी बड़ी राशि का 15 से 20 फीसदी लेनदेन नकद में होता है। हालांकि जानकारों का कहना है कि नकदी सीमा पर अमल कराना बड़ी चुनौती है क्योंकि नकद लेनदेन टुकड़ों-टुकड़ों में भी किया जा सकता है।
दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा ने कहा कि दिल्ली के थोक बाजार में आसपास के इलाकों के अलावा दूसरे राज्यों से भी कई कारोबारी माल लेने आते हैं और ज्यादातर कारोबारियों का नकद में 5-6 लाख रुपये का माल खरीदना आम बात है।
पुरानी दिल्ली के थोक बाजार देश में वितरण का बड़ा केंद्र है। इसलिए यहां बाहरी राज्यों से रोजाना खरीदार व कारोबारी आते हैं।
जान पहचान वाले कारोबारियों से चेक के जरिये भुगतान लेने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन बिना जान पहचान वालों से चेक लेने से पैसा फंसने का डर रहता है। ऐसे में 2 लाख रुपये से अधिक नकद लेनदेन पर पाबंदी से कारोबारियों को नुकसान होगा।
दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी होने के कारण इस सीमा का उल्लंघन करने पर कारोबारियों को पकड़े जाने का डर ज्यादा है।
पुरानी दिल्ली के एक थोक कारोबारी ने बताया कि बाजार के कई खुदरा कारोबारी कर दायरे में आने से बचने के लिए थोक कारोबारियों को नकद में लाखों का भुगतान करते हैं।
कुछ थोक कारोबारी भी कर से बचने के लिए नकद लेनदेन करते हैं। नकदी सीमा का अनुपालन सुनिश्चित होने पर ऐसे कारोबारियों पर अंकुश लगेगा।
चांदनी चौक सर्वव्यापार मंडल के महासचिव संजय भार्गव भी मानते हैं कि लेनदेन की नकदी सीमा से कारोबारियों की परेशानी बढ़ेगी। लेकिन सरकार के डिजिटल लेनदेन पर जोर को देखते हुए कारोबारियों को इसके लिए तैयार रहना होगा।
मुंबई रेडीमेड परिधान कारोबारी एवं बेबी क्रिएशन के मालिक संदीप भाई दोषी कहते हैं कि नकद लेनदेन में डंडे के बल पर अकुंश लगाना सही नहीं है।
मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के कुमार जैन ने कहा कि दो लाख रुपये से अधिक कारोबार पर पहले से ही पैन अनिवार्य था, इसका मतलब यह हुआ कि इसके ऊपर खरीद करने वालों की पूरी जानकारी दी जा रही थी लेकिन नकदी पर जुर्माना लागू करना हैरानी की बात है।
शहरी इलाकों में ज्यादातर लोग कार्ड से खरीदारी करते है लेकिन ग्रामीण इलाकों में आज भी नकद में ही कारोबार होता है। हमारे कुल कारोबार का 70 फीसदी ग्रामीण इलाके से होता है, ऐसे में कारोबार प्रभावित होगा।
नकद सीमा से रियल एस्टेट कारोबार को भी चपत लग सकती है। इस उद्योग में ग्राहक स्टांप शुल्क और बिल्डर कर बचाने के लिए नकद लेनदेन करते हैं।
क्रेडाई (दिल्ली-एनसीआर) के अध्यक्ष व गौर संस के प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ कहते हैं कि प्राथमिक बाजार से ज्यादातर लोग बैंक से कर्ज लेकर मकान खरीदते हैं। इसलिए नकद सीमा का इस पर खास फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन द्वितीयक बाजार में स्टांप शुल्क बचाने व अधिक लाभ के लिए घरों की बिक्री में नकद लेनदेन काफी होता है। जो 2 लाख रुपये की सीमा से प्रभावित होगा।
Source: Business Standard