रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की दो दिवसीय बैठक चल रही है। रिजर्व बैंक आज दरों में कटौती पर फैसला करेगा।
अगर रेपो रेट में कटौती होती है तो सस्ते लोन का रास्ता साफ हो जाएगा। वहीं इकोनॉमिस्ट और फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि दरों में कटौती की संभावना नहीं है।
रिजर्व बैंक पहले यह देखना चाहेगा कि जीएसटी लागू होने का महंगाई पर क्या प्रभाव पड़ रहा है और मानसून कैसा रहता है। इसके बाद ही दरों में कटौती पर विचार किया जा सकता है।
रेट कट की संभावना नहीं
भारतीय स्टेट बैंक के डीएमडी और चीफ फाइनेंशियल ऑफीसर अंशुल कांत का कहना है कि महंगाई और बाजार में पर्याप्त तरलता की स्थिति को देखते हुए रेट कट की संभावना बेहद कम है।
वहीं क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट डीके जोशी ने को बताया कि पिछली मॉनिटरी पॉलिसी बैठक में रिजर्व बैंक के रूख को देखते हुए इस बात की संभावना अधिक है कि दरों में कोई बदलाव न किया जाए। हालांकि रिजर्व बैंक सरप्राइज के तौर पर दरों में कटौती भी कर सकता है।
रेट कट के लिए सरकार का है दबाव
केंद्र सरकार महंगाई कम होने का हवाला देते हुए रेट कट की जरूरत पर जोर दे रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि महंगाई पिछले काफी समय से नियंत्रण में है। अच्छे मानसून की संभावना को देखते हुए इसके आगे भी नियंत्रण में रहने की उम्मीद है। ऐसे में रेट कट की गुंजाइश बनती है।
कॉरपोरेट जगत भी रेट कट के पक्ष में
कॉरपोरेट जगत भी दरों में कटौती की जरूरत पर जोर दे रहा है। वित्त वर्ष 2016 -17 की चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घट कर 6.1 फीसदी पर आ गई है। हालांकि इसे नोटबंदी से जोड़ कर देखा जा रहा है।
महंगाई निचले स्तर पर
अप्रैल, 2017 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स सीपीआई पर आधारित खुदरा महंगाई कई वर्षों के निचले स्तर 2.99 फीसदी पर रही है। अप्रैल, 2016 में सीपीआई पर आधारित खुदरा महंगाई दर 5.47 फीसदी थी। वहीं होलसेल प्राइस इंडेक्स पर आधारित महंगाई दर अप्रैल में 3.85 फीसदी पर रही है जो पिछले चार माह में सबसे कम है।
अप्रैल की बैठक में दरों में नहीं हुआ था बदलाव रिजर्व बैंक ने अप्रैल की मॉनिटरी पॉलिसी समीक्षा बैठक में बेंचमार्क रेंट में कोई बदलाव नहीं किया था और इसे 6.25 फीसदी पर बनाए रखा था। बैंक ने रेट कट करने की सूरत में महंगाई बढ़ने के जोखिम का हवाला दिया था।
Source: Money Bhaskar