टैक्स सरलीकरण की दिशा में भारत सरकार के सबसे बड़े कदम लंबित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर राज्यों और केंद्र सरकार के बीच कई मुद्दों पर एक राय न बनने के कारण जीएसटी अब 1 जुलाई से लागू हो सकता है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा सोमवार को बुलायी गयी प्रेस कांफ्रेंस में मंत्री ने कहा कि ड्यूल कंट्रोल और टैक्स सिस्टम पर राज्यों ओर सरकार के मध्य एक राय नहीं बन पा रही थी। इस पर पुरे दिन चर्चा हुई।
मीटिंग में जेटली ने कहा कि पूरे टैक्सेशन को राज्यों व केंद्रों के बीच साझा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 1.5 करोड़ व उससे कम के टर्नओवर वाले 90 फीसदी जीएसटी करदाताओं का आकलन राज्य जबकि 10 फीसदी का केंद्र करेगा। इससे ज्यादा का सालाना कारोबार करने वालो में 50 फीसदी पर राज्य और बाकी पर केंद्र का नियंत्रण होगा।
जीएसटी लागू होने के चलते केंद्र ने राज्यों को होने वाले रेवेन्यु लॉस का मुआवजा देने के लिए 50 हजार करोड़ रुपए का फंड तैयार करने के लिए तंबाकू और प्रदूषण फैलाने वाले प्रोडक्ट्स जैसे सामानों पे अतिरिक्त सेस लगाने पर सहमति भी बनी है।
फिलहाल सरकार ने इसके लागू होने का सारी तैयारिया शुरु कर दी है। अधिकारियों और कर्मचारियों को इसकी पूर्ण जानकारी देने के लिए सोलन के बड़ोग में एक ट्रेनिंग कार्यक्रम का अयोजन किया जा रहा है। जिसमें जीएसटी के सभी 197 खण्डों की जानकारी उनको दी जाएगी। एक में करीब 50 अधिकारियों को बिल के बारे में पूर्ण जानकारी दी गयी।
जेटली ने कहा कि जीएसटी कांउसिल की अगली मीटिंग 18 फरवरी को होगी, 1 फरवरी को बजट के कारण इस तारीख को इतना आगे किया गया है।
जीएसटी के रूप में बिक्री पर पूरे देश में हर जगह एक ही प्रकार का टैक्स लागू होगा। इससे दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, भारत दुनिया का सबसे बड़ा साझा बाजार बन जायेगा। इससे टैक्स चोरी रोकने में मदद मिलेगी और सरकारों का राजस्व बढ़ेगा।
जीएसटी बिल टैक्स दर को चार भागों में बांटा गया है। जो कि 5, 12, 18 और 28 फीसदी होगी। आम इस्तेमाल की बड़ी खपत वाले सामान पर जीएसटी की दर 5 फीसदी होगी। रोजमर्रा के सामान जैसे साबुन, शैंपू, शेविंग क्रीम वगैरह इस सूची में आ सकते हैं।
28 फीसदी की अधिकतम दर टीवी, फ्रिज जैसे व्हाइट गुड्स और सामान्य कारों के लिए होगी। 12 और 18 फीसदी की दो स्टैंडर्ड रेट रखी गयी है।