कर्ज में डूबे छोटे कारोबारियों को रिवाइव करने के सरकार के प्रयास सफल नहीं हो पा रहे हैं। एसएमई संगठनों का कहना है कि नोटबंदी के बाद सरकार को इस पर अपना फोकस बढ़ाना चाहिए, यदि ऐसा नहीं किया गया तो एमएसएमई पर एनपीए (NPA) और अधिक बढ़ सकता है और लाखों छोटे कारोबार बंद हो सकते हैं।
डूब सकते हैं 55 हजार करोड़ रुपए
हाल ही में, क्रेडिट इनफॉर्मेशन ब्यूरो (Cibil) की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि एमएसएमई सेक्टर को बैंकों और एनबीएफसी द्वारा दिया गया लगभग 55 हजार करोड़ रुपया डूब सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों ने एमएसएमई को करीब 12 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया है। इनमें 10 लाख से लेकर 10 करोड़ रुपये के सेगमेंट में जारी हुए कुल लोन का यह 21 फीसदी है। इस सेक्टर में पिछले साल क्रेडिट रेट 11 फीसदी की दर से बढ़ा, मगर एनपीए 8.7 फीसदी पर बना हुआ है।
बड़े कारोबारियों से कम है आंकड़ा
बेशक छोटे कारोबारियों पर लगभग 55 हजार करोड़ रुपए के डूबने का आंकड़ा काफी अधिक है, लेकिन एसएमई संगठनों का कहना है कि बड़े कारोबारियों के मुकाबले यह कम है, लेकिन सरकारों और बैंकों का ध्यान छोटे कारोबारियों पर ही जाता है और बैंक छोटे कारोबारियों से एनपीए वसूलने के लिए हर तरह के हथकंड़े अपनाते हैं, जबकि बड़े कारोबारियों को बार-बार और लोन देकर उन्हें उबरने का मौका दिया जाता है। ऐसा छोटे कारोबारियों के साथ नहीं किया जा सकता है।
रिवाइवल पर फोकस करना होगा
छतीसगढ़ लघु एवं सहायक उद्योग संघ के प्रेसिडेंट हरीश केडिया ने कहा कि मोदी सरकार ने वादा किया था कि छोटे कारोबारियों को रिवाइव करने के लिए विशेष कदम उठाए जाएंगे। मिनिस्ट्री ऑफ माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) ने प्रयास भी किया। नया फ्रेमवार्क भी तैयार किया गया, लेकिन अब तक इसके सार्थक परिणाम नहीं दिख रहे हैं। अब भी यदि फोकस नहीं बढ़ाया गया तो सिक यूनिट्स की संख्या और बढ़ सकती है।
6-7 सालों से नहीं हुआ ग्रोथ
वर्ल्ड एसोसिएशन्स ऑफ एसएमई (वास्मे) के सीनियर एडवाइजर गौरव गुप्ता ने कहा कि पिछले 6-7 साल से एमएसएमई सेक्टर की ग्रोथ रूकी हुई। इस वजह से एमएसएमई सेक्टर में एनपीए बढ़ रहा है। वहीं सरकार, सिक एमएसएमई यूनिट्स के रिवाइवल पर ज्यादा फोकस नहीं कर रही है, केवल रूटीन की तरह काम की तरह काम किया जा रहा है। सरकार को इस पर फोकस बढ़ाना चाहिए।
नोटबंदी का इम्पैक्ट खत्म करना होगा
मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन ऑफ फरीदाबाद (एमएएफ) के महासचिव रमणीक प्रभाकर ने कहा कि नोटबंदी का असर छोटे कारोबारियों पर काफी हद तक दिखाई दिया। अब कारोबारी उस असर से बाहर तो आ रहे हैं, लेकिन पिछले 4 से 6 माह के दौरान बैंकों ने कोई नया लोन दिया और ना ही रिवाइवल पर फोकस किया। बैंकों को स्पष्ट निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे छोटे कारोबारियों को संकट से उबरने में पूरा साथ दें।
Source: Money Bhaskar