GST: संसद की मंजूरी के बाद अब मोदी करेंगे दर की बात


वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े विधेयकों को संसद की मंजूरी मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह वरिष्ठï अधिकारियों के साथ बैठक कर सकते हैं। इस बैठक में कर की दरों की समीक्षा की जाएगी जिन्हें जीएसटी परिषद की अगले महीने होने वाली बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। लोकसभा ने […]


GST_cubes_jpgवस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े विधेयकों को संसद की मंजूरी मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह वरिष्ठï अधिकारियों के साथ बैठक कर सकते हैं। इस बैठक में कर की दरों की समीक्षा की जाएगी जिन्हें जीएसटी परिषद की अगले महीने होने वाली बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा।

लोकसभा ने पिछले सप्ताह एकीकृत, केंद्रीय और केंद्रशासित राज्यों से जुड़े जीएसटी विधेयकों को मंजूरी दे दी थी जबकि राज्य सभा ने गुरुवार को इन पर अपनी मुहर लगाई। अब जीएसटी परिषद को विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं पर विभिन्न श्रेणियों में कर की दरों (फिटमेंट) को मंजूरी देगी।

एक जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की साउथ ब्लॉक में बैठक होगी जिसमें इस फिटमेंट प्रक्रिया की समीक्षा होगी। सरकारी सूत्रों के मुताबिक बैठक के अंत में प्रधानमंत्री इस प्रक्रिया की समीक्षा करेंगे। मोदी उन उत्पादों पर कर लगाने के बारे में अपना सुझाव भी दे सकते हैं जिन पर विवाद है।

इस मामले से जुड़े एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, ‘यह बैठक अगले सप्ताह की शुरुआत में होनी है। हम विधेयकों को संसद की मंजूरी मिलने का इंतजार कर रहे थे। विभिन्न श्रेणियों में कर की दरों को जीएसटी परिषद की मंजूरी के लिए भेजे जाने से पहले यह केंद्र सरकार का जीएसटी पर अंतिम कदम है।’ अब राज्यों को अपने जीएसटी विधेयक पारित कराने की जरूरत है।

सूत्रों का कहना है कि बीड़ी, सिगरेट, बिस्कुट, खाद्य तेल, औषधीय उत्पादों, चिकित्सा उपकरणों और आभूषणों पर कर की दर को लेकर विवाद है। माना जा रहा है कि बीड़ी पर कर की दर को लेकर फिटमेंट कमेटी में मतभेद है। फिलहाल बीड़ी पर 19.8 फीसदी कर है जो परिषद द्वारा तय 18 फीसदी की श्रेणी के करीब है। अलबत्ता वित्त मंत्रालय बीड़ी को स्वास्थ्य के लिए खतरा मानते हुए इसे 28 फीसदी की श्रेणी में रखना चाहता है। साथ ही इस पर उपकर भी लगेगा। जन स्वास्थ्य के लिए काम करने वाले संगठन भी तंबाकू पर कर की दरों में स्पष्टता चाहते हैं।

इस बीच उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनियां भी बिस्कुट को 5 फीसदी से कम की जरूरी उत्पादों की श्रेणी में रखने की मांग कर रही हैं। कंपनियां रिफाइंड तेल और खाद्य तेल के वर्गीकरण में भी स्पष्टता चाहती हैं। इस बात को लेकर भी भ्रम की स्थिति है कि नारियल तेल खाद्य तेल माना जाएगा या फिर बालों पर लगाने का तेल। केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने मांग की है कि इसे आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में रखा जाना चाहिए और पर खाद्य तेल की तरह कर लगना चाहिए।

उधर दवा बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि औषधि उत्पादों पर अभी करीब 9.4 फीसदी कर लगता है और इसमें 10 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी से जन स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। उनकी दलील है कि कुछ जीवनरक्षक दवाओं पर जीएसटी के तहत भी छूट जारी रहनी चाहिए। इस तरह की दवाओं पर फिलहाल केंद्र उत्पाद शुल्क और काउंटरवेलिंग ड्यूटी में छूट है।

साथ ही कंपनियां शिशु आहार को भी आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में रखने की मांग कर रही हैं। उनकी दलील है कि ये उत्पाद बच्चों में प्रोटीन, खनिज और दूसरे पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं। चिकित्सा उपकरणों पर फिलहाल 9.9 फीसदी कर लगता है और कंपनियों की मांग है कि यह 10 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।

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