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बजट 2017: उत्तर प्रदेश की MSMEs को बजट से मिली राहत

एनडीए सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली के चौथे व पूर्णकालिक तीसरे आम बजट 2017-18 ने मंदी से जूझ रहे उत्तर प्रदेश के छोटे और मझोले उद्योगों (MSMEs) को थोड़ी राहत दी है।

नोटबंदी की मार से परेशान व्यापारियों का भी मानना है कि बजट से मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ेगी और बाजार एक बार फिर से खोई चमक वापस पा लेगा।

प्रदेश में छोटे व मझोले उद्योगों की प्रतिनिधि संस्था लघु उद्योग भारती के प्रशांत भाटिया का कहना है कि बजट संतुलन पैदा करेगा और औद्योगिक सुस्ती दूर करने में मदद करेगा।

कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) का कहना है कि कंपनियों पर आयकर कम करने के सरकार के कदम से सभी क्षेत्रों में रोजगार में 2 प्रतिशत बढ़ोतरी होगी।

वाराणसी में सिल्क कारोबारी और सिनर्जी फैब्रीक्राफ्ट के रजत पाठक के मुताबिक बजट के प्रावधानों से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उनका कहना है कि 50 करोड़ रुपये से कम कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए कर 30 प्रतिशत के बजाय 25 प्रतिशत किए जाने से देश ही नही बल्कि प्रदेश के भी छोटे व मझोले उद्योगों को लाभ मिलेगा।

पाठक कहते हैं कि आय कर दायरा बढ़ाने और काला धन रोकने के लिए कराधान और भी अधिक सरल किया जाना चाहिए, फिर भी शुरुआत अच्छी मानी जा सकती है।

स्टील कारोबारी अमित सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार ने बजट में ढांचागत क्षेत्र के लिए भरपूर धन आवंटित किया है, जिससे सीमेंट, लोहा जैसे तमाम उद्योगों को संजीवनी मिलेगी।

उनका कहना है कि बजट किसान, गांव के हित में जरूर है लेकिन उद्योगों को भी इससे राहत मिलनी तय है।

कपड़ा व्यापार मंडल के अध्यक्ष अशोक मोतियानी ने कहा, “5 लाख रुपये तक की आय वालों को आयकर में छूट बाजार के लिए साकारात्मक है और मध्यम वर्ग के हित में है। सर्राफा बाजार के कारोबारियों में जरूर बजट को लेकर निराशा देखी जा रही है। उनका कहना है कि 3 लाख रुपये से अधिक के नकद लेन-देन पर रोक लगाना गलत है।”

पहले से ही मुसीबतों का सामना कर रहे सराफा बाजार के कारोबारियों का मानना है कि आम बजट में उनके लिए कोई खास ऐलान नही किया गया है, बल्कि इससे बाजार में खरीदारी घटेगी।

Source: The Business Standard