SMEpost

जीएसटी विधेयक बजट सत्र में ही पारित होंगे

बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक जुलाई से लागू करने की तैयारी कर रही सरकार इसके जरूरी विधेयकों को संसद के मौजूदा बजट सत्र में ही पारित कराने की योजना बना रही है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि मार्च के अंत तक जीएसटी के कानून और नियम तय हो जाएंगे। इसके बाद सरकार मई-जून में सेवा और वस्तुवार जीएसटी की दरें भी तय कर लेगी।

जीएसटी काउंसिल प्रस्ताव जीएसटी की दरें पहले ही तय कर चुकी है लेकिन अब किस वस्तु और किस सेवा पर कितनी दर से जीएसटी वसूला जाएगा, यह अधिकारियों की समिति तय करेगी। जेटली ने शुक्रवार को यहां कहा कि जीएसटी काउंसिल विधेयकों के मसौदे को अंतिम रूप दे चुकी है।

इन विधेयकों के मसौदे पर कानूनी राय मिलने के साथ ही 18 फरवरी को होने वाली काउंसिल की बैठक में इस पर मुहर लगा दी जाएगी। इसके बाद नौ मार्च को शुरू हो रहे बजट सत्र के दूसरे चरण में सीजीएसटी और आइजीएसटी विधेयकों को पारित कराया जाएगा।

आम बजट के बाद उद्योग संगठन फिक्की, सीआईआई, एसोचैम और आईसीसी के प्रतिनिधियों के सवालों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने यह बात कही। उल्लेखनीय है कि बजट सत्र का पहला चरण नौ फरवरी को समाप्त हो रहा है। संसद के साथ-साथ राज्य विधानमंडलों को भी एसजीएसटी विधेयक पारित करने होंगे।

इसके अलावा केंद्र को सीजीएसटी विधेयक संसद से पारित करना होगा। इस विधेयक के पारित होने पर ही राज्यों को पांच साल तक राजस्व क्षति की भरपाई की जाएगी।

वस्तुओं और सेवाओं पर प्रस्तावित जीएसटी की दरों के बारे में राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने कहा कि इस संबंध में फॉर्मला तय किया जा चुका है। फिलहाल जिन वस्तुओं पर वैट और केंद्रीय उत्पाद शुल्क मिलाकर जितना टैक्स बनता है, वे जीएसटी की निकटवर्ती श्रेणी में आएंगी।

जीएसटी की चार प्रस्तावित दरें- पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत पहले ही तय की जा चुकी हैं। एक सवाल के जवाब में जेटली ने कहा कि राजकोषीय घाटे का 3.2 प्रतिशत लक्ष्य व्यावहारिक है।

एफआइपीबी खत्म करने का फैसला सही

वित्त मंत्री ने विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (एफआइपीबी) को खत्म करने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि यह लालफीताशाही को खत्म करने के लिए किया गया है।

नया टैक्स स्टार्ट अप्स पर नहीं लगेगा : अढ़िया

सरकार ने कहा है कि गैर सूचीबद्ध कंपनियों में शेयर ट्रांसफर पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर लगाने का कदम खोखा कंपनियों पर सख्ती के लिए उठाया गया है। एफडीआइ के जरिये स्टार्ट अप्स में वास्तविक निवेश को इससे मुक्त रखा जाएगा।

राजस्व सचिव हंसमुख अढ़िया ने एक इंटरव्यू में कहा है कि सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) वर्ष 2004 में लगाया गया था और एसटीटी-पेड सूचीबद्ध कंपनियों को इस टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया। इस व्यवस्था में टैक्स से बचने के लिए खोखा कंपनियां खोलने का दौर शुरू हो गया। इन्हीं पर शिकंजा कसने के लिए यह कदम उठाया गया है।

साप्ताहिक निकासी सीमा जल्द हटेगी : दास

नोटबंदी के बाद अब नकदी प्रवाह लगभग सामान्य हो चुकी है। आर्थिक मामलों से सचिव शक्तिकांत दास ने एक इंटरव्यू में कहा कि नकदी निकासी पर ज्यादातर प्रतिबंध हटा लिये गये हैं।

अब सिर्फ 24000 रुपये की साप्ताहिक निकासी की सीमा लागू है। यह सीमा भी कभी भी हटाई जा सकती है। करेंसी की सप्लाई और प्रबंधन भारतीय रिजर्व बैंक की जिम्मेदारी है। वह जल्दी ही हालात की समीक्षा करके इस सीमा को भी हटाने पर विचार करेगी।

Source: NaiDunia