मध्य प्रदेश: छोटे उद्योगों को सप्लाय टेंडर के लिए जमा नहीं करना होगी अर्नेस्ट मनी


छोटे उद्योगों को टेंडर प्रक्रिया में बड़ी राहत मिल गई है। सरकारी खरीद-सप्लाय में भाग लेने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को अब अर्नेस्ट मनी जमा नहीं करना होगी। उद्योग संगठन की मांग पर सहमति देते हुए शासन ने इस बारे में औपचारिक आदेश जारी कर दिया है। प्रदेश के 45 हजार उद्योगों को […]


SMEछोटे उद्योगों को टेंडर प्रक्रिया में बड़ी राहत मिल गई है। सरकारी खरीद-सप्लाय में भाग लेने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को अब अर्नेस्ट मनी जमा नहीं करना होगी। उद्योग संगठन की मांग पर सहमति देते हुए शासन ने इस बारे में औपचारिक आदेश जारी कर दिया है। प्रदेश के 45 हजार उद्योगों को इससे सीधा फायदा मिलेगा।

प्रदेश के उद्योगों का प्रतिनिधि संगठन एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मप्र (एआईएमपी) करीब डेढ़ साल से सरकार से इस बारे में मांग कर रहा था। एसोसिएशन के अध्यक्ष ओपी धूत के मुताबिक सरकारी विभागों की टेंडर प्रक्रिया में टेंडर की कुल राशि का दस प्रतिशत अर्नेस्ट मनी के तौर पर जमा करना होता है।

छोटे-मध्यम उद्योग जिनका कुल पूंजी निवेश ज्यादा नहीं होता, उनके लिए अर्नेस्ट मनी की व्यवस्था बोझ बन जाती है। ऐसे में बड़े उद्योगों और ठेकेदार से वे प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाते हैं। वे सरकार से लगातार मांग कर रहे थे कि मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने और छोटे उद्योगों को आगे बढ़ने का अवसर देने के लिए इन पर अर्नेस्ट मनी का बंधन खत्म होना चाहिए।

बीते वर्ष सूक्ष्म लघु उद्योगों के लिए अलग से मंत्रालय बनने के बाद यह मांग पूरी होने की उम्मीद बंध गई थी। अब शासन ने लिखित सूचना भेजकर छूट की घोषणा कर दी है।

ये हैं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग

एआईएमपी के मुताबिक प्रदेश में कुल 45 हजार उद्योग सूक्ष्म, लघु और मध्यम की श्रेणी में पंजीकृत हैं। ऐसे उद्योग जिनका पूंजी निवेश 25 लाख तक होता है, वे सूक्ष्म उद्योग की श्रेणी में आते हैं। तीन करोड़ तक के निवेश वाले उद्योग लघु, जबकि 10 करोड़ तक के पूंजी निवेश वाले उद्योग मध्यम श्रेणी में आते हैं। इन सभी उद्योगों को अब सरकारी विभागों के टेंडर में सीधा लाभ मिलेगा।

Source: Naidunia.jagran.com

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