गिरती क्रेडिट ग्रोथ और बढ़े डिपॉजिट को देखते हुए देश के प्रमुख बैंक होम, कार और पर्सनल लोन जैसे रिटेल लोन उम्मीद से ज्यादा सस्ते कर सकते हैं।
उन्हें आज पेश होने वाली आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी का इंतजार है।
अगर आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है, तो बैंक डिमांड बढ़ाने के लिए रिटेल लोन में ज्यादा रियायत दे सकते हैं।
क्या है उम्मीद
एचडीएफसी बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरुआ ने नोटबंदी के बाद बैंकों के पास काफी नकदी आ गई है।क्रेडिट ग्रोथ भी रिकॉर्ड लेवल पर कम है। ऐसे में, अगर आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है, तो बैंक रिटेल लोन में कहीं ज्यादा कटौती कर सकते हैं, ताकि उनकी डिमांड बढ़े।
इकोनॉमिस्ट डी.एच.पई. पन्नंदिकर के मुताबिक, “इस वक्त बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ 15% के हाईलेवल पर है। जबकि क्रेडिट ग्रोथ गिरकर 5% पर आ गई है।”
ऐसे में, बैंकों के सामने रेट कट करने के अलावा कोई चारा नहीं है।
बैंकों के पास 3-4 लाख करोड़ की एक्स्ट्रा नकदी
बैंकर सुनील पंत के मुताबिक, “नोटबंदी के बाद बैंकों के पास करीब 15 लाख करोड़ रुपए आए। मेरी जानकारी के अनुसार, बैंकों की करंट आउंट स्टैंडिंग (कर्ज) करीब 70 लाख करोड़ रुपए है।”
साथ ही, उनकी क्रेडिट ग्रोथ अगर 5% के मुताबिक देखी जाए, तो करीब 3.5 लाख करोड़ रुपए नए डिपॉजिट से निकल गए हैं।
अगर बैंकों से 50% डिपॉजिट निकल गया होगा, तो उनके पास 3-4 लाख करोड़ रुपए कैश बचा होगा। ऐसे में, बैंकों के पास इतनी एक्स्ट्रा नकदी को निकालने के लिए कर्ज सस्ता करने के अलावा कोई चारा नहीं है।
RBI कर सकता 0.25% की कटौती
एचडीएफसी बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरुआ के मुताबिक, “बजट 2017-18 में ऐसे किसी तरह के प्रोविजन नहीं किए गए हैं, जिससे इन्फ्लेशन में इजाफा हो।
साथ ही, सरकार ने फिजिकल डेफिसिट के लिए जो टारगेट तय किया है, वह भी कंट्रोल में है। सरकार ने साल 2016-17 के लिए 3.5% और साल 2017-18 के लिए 3.2% टारगेट तय किया है।
इसके अलावा इन्फ्लेशन भी टारगेट के अंदर है, इसे देखते हुए आरबीआई 0.25% की कटौती कर सकता है।
क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट डी.के. जोशी का भी कहना है कि फिजिकल टारगेट सरकार ने जिस तरह किए हैं, बजट से इन्फ्लेशन बढ़ने की आशंका नहीं है। ऐसे में, आरबीआई 0.25%.. बढ़ने की आशंका नहींं है। ऐसे में, आरबीआई 0.25% रेट कट कर सकता है।
Source: Money Bhaskar