वित्त वर्ष 2016-17 में बैंक क्रेडिट की वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत रही जो 60 साल में सबसे कम है। इसका कारण सरकारी बैंकों पर फंसे कर्ज का बढ़ता बोझ है जिससे वो लोन देने में काफी एहतियात बरत रहे हैं। इससे पहले लोन वृद्धि की न्यूनतम दर का रिकॉर्ड साल 1953-54 का रहा जब यह मात्र 1.7 प्रतिशत था।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक, 31 मार्च 2017 तक बैंक का बकाया लोन 78.82 लाख करोड़ रुपये था। इसका बड़ा हिस्सा मार्च के आखिरी 15 दिनों में दिए गए कर्ज का है जो 3.16 लाख करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष के आखिरी 15 दिनों में भारी-भरकम कर्ज दिए जाने के बावजूद पूरे साल का कर्ज वृद्धि दर 5.1 प्रतिशत ही रहा जो पिछले साल 10.3 प्रतिशत था।
फंसे कर्ज और कॉर्पोरेट इन्वेस्टमेंट में आई स्थिरता के अलावा बैंक क्रेडिट ग्रोथ को नोटबंदी से भी झटका लगा। अक्टूबर-दिसंबर 2016 के बीच बैंक क्रेडिट ग्रोथ 2.3 प्रतिशत रही जो पिछले साल की समान अवधि में 2.7 प्रतिशत थी। बैड लोन के अलावा आरबीआई की सबसे बड़ी चिंता बैंकों में आई नकदी की बाढ़ भी है। एक ओर बैंक की कर्ज देने की रफ्तार सुस्त है तो दूसरी ओर जमा राशि लगातार बढ़ रही है।
बीते वित्त वर्ष में बैंकों में जमा नकदी 11.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 108 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है। कुछ बैंकरों को लगता है कि आरबीआई फॉरेक्स मार्केट में दखल देगा क्योंकि इससे सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ रही है।
Source: Economic Times