टेक्सटाईल इंडस्ट्री की मांग है कि उसे लंबित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत सबसे कम स्लैब 5% की एक सामान दर में रखा जाए। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल जून में अपेरल सेक्टर के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा की थी जिससे सेक्टर का विकास तेजी से हो सके।
इंड्स्ट्री को सरकार से उम्मीद है कि सरकार पावरलूम सेक्टर के लिए भी जल्द ही एक विशेष पैकेज की घोषणा करेगी। हालाँकि इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि बजट में टेक्सटाइल सेक्टर के लिए शायद किसी बड़े पैकेज की घोषणा न हो।
जीएसटी के मुद्दे इंड़स्ट्री का कहना है, “सरकार ने पहले ही टेक्सटाइल के विभिन्न क्षेत्रों के लिए पैकेज की घोषणा की है। लेकिन अब फोकस जीएसटी पर है।”
दक्षिण भारत मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एम सेंथिल कुमार का कहना है, “जीएसटी लागू होना अभी प्रक्रिया में है, लेकिन तब तक हमें आशा है कि सरकार वैकल्पिक सेनवैट में कोई बदलाव नहीं करेगी जो की पहले ही लागू हो चुका है।”
कपड़ा क्षेत्र के उद्योग प्रतिनिधियों के अनुसार इंडस्ट्री चाहती है की उसे मूल्य श्रृंखला के किसी भी क्षेत्र में छूट के बिना, न्यूनतम 5 फीसदी वाले स्लैब में रखा जाए।
लगभग 60 प्रतिशत टेक्सटाइल इंडस्ट्री कॅाटन पर निर्भर है वहीं 80 फासदी टेक्सटाइल और क्लोथिंग एक्सपोर्ट भी कॅाटन आधारित है।