जीएसटी से जुड़े 4 बिल बुधवार को लोकसभा से पारित हो सकते हैं। इनमें सेंट्रल जीएसटी (C-GST), इंटिग्रेटेड जीएसटी (आई-GST), यूनियन जीएसटी (यूटी-GST) और मुआवजा कानून बिल शामिल हैं। डिबेट के लिए 7 घंटे का वक्त तय किया गया है।
लोकसभा में विधायी कामकाज के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली इन चारों बिलों को डिबेट और पास कराने के लिए पेश करेंगे। सरकार का इरादा 1 जुलाई से इसे लागू करने का है।
इससे पहले, जेटली ने सोमवार को जीएसटी से जुड़े 4 बिलों को सोमवार को संसद में पेश किया था। इन बिलों में अधिकतम 40 फीसदी जीएसटी रेट (20 फीसदी सीजीएसटी और 20 फीसदी एसजीएसटी) के अलावा टैक्स चोरी करने वालों की गिरफ्तारी का भी प्रावधान है। विवाद सुनवाई के लिए जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन होगा।
जीएसटी से जुड़ी कुछ अहम बातें
केंद्र सरकार के लिए जीएसटी से जुड़े बिलों को 16 सितंबर से पहले इसे लागू कराना जरूरी है। सरकार संसद में पहले ही संविधान संशोधन बिल पास करा चुकी है, जिसके तहत 16 सितंबर के बाद इनडायरेक्ट टैक्स की वसूली नहीं की हो सकेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 20 मार्च को हुई कैबिनेट की मीटिंग में जीएसटी से जुड़े बिलों को मंजूरी दी गई थी। अब इन चारों बिलों को संसद की मंजूरी की जरूरत है। वहीं स्टेट जीएसटी को राज्यों की विधान सभाओं से पास कराना पड़ेगा। संसद का मौजूदा सत्र 12 अप्रैल तक चलेगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि जीएसटी काउंसिल की बैठक 31 मार्च को होगी। इसमें नियमों को मंजूरी दी जाएगी। फिर अलग-अलग प्रोडक्ट और सर्विसेस पर कितना जीएसटी लगेगा, यह तय किया जाएगा।
जीएसटी के लिए 5, 12, 18 और 28 फीसदी की चार दरों की स्लैब का प्रपोजल है।
स्टडी के मुताबिक, जीएसटी लागू होने से इंडियन प्रोडक्ट न सिर्फ घरेलू बाजार में, बल्कि इंटरनेशनल मार्केट में भी कॉम्पिटीटर हो जाएंगे। वहीं, देश की जीडीपी ग्रोथ रेट एक से दो फीसदी तक बढ़ सकती है। इसके न केवल नई नौकरियां पैदा होंगी, बल्कि प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी।
बिल के अहम प्रोविजन
डिमेरिट गुड्स पर सेस: पान मसाला पर मैक्सिमम 135 फीसदी, सिगरेट पर 290 फीसदी, लग्जरी कार और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पर 15 फीसदी तक सेस लगाने का प्रावधान है।
टैक्स चोरी पर जेल: 5 करोड़ सेे ऊपर की टैक्स चोरी गैर जमानती होगी, इसमें 5 साल तक जेल का प्रावधान है। टैक्स पेमेंट में देरी पर अधिकतम 18 फीसदी तक ब्याज देना पड़ सकता है।
मुनाफाखोरी पर लगाम: जिन वस्तुओं पर कम टैक्स लगेगा, उसका फायदा कस्टमर को मिलेगा। ऐसा नहीं करने वालों पर कार्रवाई होगी। नजर रखने के लिए अथॉरिटी बनेगी।
छोटे बिजनेस को राहत: सालाना 50 लाख रुपए तक बिजनेस करने वाले मैन्युफैक्चरर्स को टर्नओवर के 2 फीसदी (1 फीसदी सीजीएसटी और 1 फीसदी एसजीएसटी) तक टैक्स देना होगा।
रेस्टोरेंट के लिए 5 फीसदी (2.5 फीसदी सीजीएसटी और 2.5 फीसदी एसजीएसटी), ट्रेडर्स के लिए 1 फीसदी (0.5 फीसदी सीजीएसटी और 0.5 फीसदी एसजीएसटी) टैक्स का प्रावधान है। 20 लाख रेवेन्यू वाले बिजनेस जीएसटी के दायरे से बाहर होंगे, हालांकि कुछ राज्यों में यह सीमा 10 लाख रुपए सालाना है।
ई-कॉमर्स पर भी जीएसटी: ई-कॉमर्स कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने वाले सप्लायर्स को भुगतान करने से पहले टैक्स काटेंगी। यह अधिकतम 2 फीसदी होगा। इसमें 1 फीसदी सीजीएसटी और 1 फीसदी एसजीएसटी।
Source: Money Bhaskar