वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक जुलाई, 2017 से लागू करने की कोशिश कर रही सरकार अब इसके नियमों को अंतिम रूप देने में जुट गई है।
जीएसटी की नियम संबंधी समिति की इस हफ्ते बैठक हो रही है। इसमें रिटर्न और रिफंड से लेकर वस्तु एवं सेवा कर के लिए जरूरी सभी नियमों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
हालांकि लघु व मध्यम उद्यमियों ने जीएसटी के रिटर्न संबंधी में नियमों में बदलाव की मांग की है।
साथ ही उन्होंने जीएसटी के ई-वे बिल (इलेक्ट्रॉनिक वे बिल) को लेकर भी चिंताएं प्रकट की हैं। सूत्रों के मुताबिक जीएसटी की नियम संबंधी समिति की बैठक 11, 12 और 13 मई को दिल्ली में हो रही है।
इसमें केंद्र और राज्यों के आला अफसर शामिल होंगे। बैठक में जीएसटी कानून के तहत प्रस्तावित नियमों को अंतिम रूप दिया जाएगा। जीएसटी परिषद पहले ही कई नियमों के ड्राफ्ट जनता की टिप्पणी के लिए सार्वजनिक कर चुकी है। आम लोगों और कारोबारियों ने इन नियमों पर अपनी टिप्पणियां दी हैं। समिति की बैठक में इन पर विचार किया जाएगा।
लघु और मध्यम उद्यमियों ने जीएसटी के रिटर्न संबंधी नियम में बदलाव की मांग करते हुए कहा कि रिटर्न दाखिल करने के लिए मिलने वाली प्रस्तावित 15 दिन की अवधि को बढ़ाया जाए।
फिलहाल सेवा कर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के संबंध में कारोबारियों को रिटर्न फाइल करने के लिए अधिक समय मिलता है। मसलन सेवा कर के तहत कारोबारियों को हर छमाही रिटर्न दाखिल करना होता है, जबकि जीएसटी में मासिक रिटर्न का प्रावधान है। छोटे कारोबारियों की दलील है कि इससे उनकी लागत बढ़ जाएगी।
प्रस्तावित समयावधि कम है, इसलिए रिटर्न दाखिल करने की सीमा बढ़ायी जानी चाहिए। सूत्रों ने कहा कि कारोबारियों ने ई-वे बिल संबंधी में नियमों में भी बदलाव की मांग की है।
प्रस्तावित नियमों के तहत अगर कोई भी व्यक्ति 50 हजार रुपये से अधिक का माल एक से दूसरी जगह ले जाता है तो उसे जीएसटी के कॉमन पोर्टल पर उसका पंजीकरण कराकर ई-वे बिल जनरेट करना चाहिए।
कारोबारियों को आशंका है कि इस नियम का दुरुपयोग हो सकता है। साथ ही कारोबारी इस व्यवस्था को जटिल बता रहे हैं। उनका मानना है कई स्थितियों में एक से दूसरी जगह तक सामान ले जाने में कई बार इलेक्ट्रॉनिक वे बिल जनरेट करने पड़ेंगे।
Source: Naidunia.jagran.com