सार्वजनिक खरीद नीति के तहत देश की एसएमई इकाइयों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार सभी मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को सूक्ष्म तथा लघु उद्योगों से माल या सेवाओं के कुल वार्षिक मूल्य का न्यूनतम 20 प्रतिशत खरीदना अनिवार्य कर चुकी है।
सरकार की यह नीति प्रतिस्पर्धा के मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है, जो कि खरीददारी प्रक्रियाओं का पालन करती है। यह प्रक्रिया सिस्टम में माल या सेवाओं की आपूर्ति में उचित, न्यायसंगत, पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी और प्रभावी होगी।
समय समय पर, देश के कोने-कोने में स्थित एमएसएमई विकास संस्थानों द्वारा वेंड़र डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया जाता रहा है ताकि छोटे उद्योगों को व्यापार के लिए एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जा सके। और एमएसएमई संगठन बिक्री के लिए उभरती मांगों की पहचान करने के लिए एक-दूसरे के साथ बातचीत कर सकें। यह आयोजन छोटे उद्यमों को अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित करने का एक अवसर होता है।
पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (पीजीसीएल) और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास संस्थान (एमएसएमई-डीआई) ने साथ मिलकर एमएसएमई के लिए दो दिवसीय (16 व 17 मार्च) विक्रेता विकास कार्यक्रम सहित एक औद्योगिक प्रदर्शनी आयोजित कर रहे हैं। कार्यक्रम का मुख्य फोकस ऊर्जा और बिजली सेक्टर है।
इस वेंडर डेवलपमेंट प्रोग्राम का उद्घाटन करते हुए एमएसएमई मिनिस्ट्री के एडीशनल सेक्रेटरी एस एन त्रिपाठी ने कहा, “एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और नवीन बनाने में लगे हुए हैं। और एमएसएमई मंत्रालय एमएसएमई को विभिन्न स्तरों पर नवाचार में सहायता करता है। पीएसयू को छोटी इकाइयों से 20 फीसदी खरीद सुनिश्चित करना चाहिए और एमएसएमई को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने के लिए जीरो इफेक्ट जीरो डिटेक्ट (जेडईडी) का पालन करना चाहिए, तभी मेक इन इंड़िया का सपना साकार होगा।”
पीजीसीएल के CVO वी के सक्सेना ने कहा, सार्वजनिक खरीद एमएसई के लिए एक बड़ा मौका है और यह पीएसयू के लिए फायदेमंद होता है। इस नियम के बाद हम जो उत्पाद विशेषकर बिजली के बहुराष्ट्रीय कंपनियों से खरीदते हैं वही अब एमएसई से आसान दरों पर खरीद सकते हैं। इसके लिए हमारे साथ व्यापार करने की इच्छा रखने वाले और किसी के साथ हमारी व्यापार करने की इच्छा के बीच तालमेल बिठाना बहुत आवश्यक है, जो कि हमें इष्टतम लागत पर गुणवत्ता प्रदान कर सकता है।
सक्सेना ने कहा कि हमने एमएसई के साथ आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थानों के छात्रों से गर्मियों में इंटर्नशिप करने के लिए कहा है। जिससे की एसएमई का विकास हो।
यह उपयोगकर्ताओं, उत्पादकों और निश्चित रूप से युवाओं के बीच एक गठबंधन को संस्थागत बनाएगा। जिन्हें एमएसई के लाभ के लिए तकनीकी इनपुट प्रदान करने और पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता है।
साथ ही उन्होंने बताया कि पीजीसीएल ने से 22 प्रतिशत की खरीद के साथ 20 प्रतिशत के टारगेट को प्राप्त कर लिया है।
आर के पनिग्राही, निदेशक, एमएसएमई-डीआई-नई दिल्ली, पीजीसीएल के निदेशक (संचालन) आर पी सासमल और मेजर जनरल राजेश आदि भी इस मौके पर मौजूद थे जिन्होंने अपने विचारों को उपस्थित लोगों के साथ साझा किया।
बिजली और ऊर्जा क्षेत्र की विभिन्न एमएसएमई इकाइयों ने इस प्रोग्राम में भाग लिया और अपनी प्रदर्शनी भी लगाई।