दवाइयां बनाने वाला फार्मा सेक्टर, बजट में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने वाले कदम चाहता है। सेक्टर के एसएमई कारोबारी चाहते हैं कि दवाइयों पर जीएसटी की दर 5 फीसदी हो और उन्हें सस्ता लोन मिले। गुजरात देश का फार्मास्युटिकल सेक्टर का हब है।
बजट को लेकर यहां जबर्दस्त उत्साह का माहौल है। फार्मा इंडस्ट्री चाहती है कि एसएमई को कम ब्याज पर लोन दिया जाए। और नए निवेश पर मिलने वाली सब्सिडी की रकम को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाए।
फार्मा सेक्टर ये भी चाहता है कि दवाइयों पर जीएसटी की दर 5 फीसदी हो, रिसर्च और डेवलेपमेंट में भी सरकार छोटी कंपनियों की मदद करे और जीडीपी का ज्यादा बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च करे।
इसके अलावा ऐसी मौजूदा योजनाओं को ज्यादा ध्यान दिया जाए, जो फार्मा सेक्टर को मजबूत करती हैं। फार्मा इंडस्ट्री कि नजर इस बात पर है कि आने वाले बजट में वित्तमंत्री कम से कम दरों की घोषिणा कर दें।
एलोपैथी, आयुर्वेदिक और मेडिकल डिवाइस मिलाकर देश के फार्मा सेक्टर का कुल टर्नओवर है 2 लाख 20 हजार करोड़ रुपए। इसमें से 1 लाख 20 हजार करोड़ की दवाइयां भारतीय बाजारों में बिकती है और 1 लाख करोड़ की दवाईयों का निर्यात होता है। फार्मा सेक्टर में एक तिहाई यानि 33 फीसदी हिस्सेदारी गुजरात की है।
नोटबंदी के कारण नवबंर में दवाईओं की रिटेल बिक्री तो काफी बढ़ी थी लेकिन अगले 3 महीने में इसमें गिरावट देखने को मिल सकती है।
एसएमई इकाइयों का कहना है कि अगर सरकार 2020 तक दवाईकों का टर्न ओवर 2.20 लाख करोड़ रुपए से बढाकर 3 लाख करोड़ की करना चाहती है तो जीएसटी दर से लेकर अन्य फायदे फार्मा सेक्टर को देना जरुरी है।
Source: Punjab Kesari