डिजिटल ट्रांजेक्शन चार्ज की ऊपरी सीमा तय करने की तैयारी


डिजिटल लेन-देन पर लगने वाले ट्रांजैक्शन चार्ज यानी स्रविस चार्ज की ऊपरी सीमा तय करने की तैयारी है। इस बाबत सरकार जल्द ही एक नोटिफिकेशन जारी करेगी। वित्त मंत्रालय के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने कहा, “हम सर्विस चार्ज की कैपिंग (ऊपरी सीमा) तय करने पर विचार कर रहे हैं।” कार्ड पेमेंट कंपनियां या फिर […]


digital-india-payment-22डिजिटल लेन-देन पर लगने वाले ट्रांजैक्शन चार्ज यानी स्रविस चार्ज की ऊपरी सीमा तय करने की तैयारी है। इस बाबत सरकार जल्द ही एक नोटिफिकेशन जारी करेगी।

वित्त मंत्रालय के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने कहा, “हम सर्विस चार्ज की कैपिंग (ऊपरी सीमा) तय करने पर विचार कर रहे हैं।”

कार्ड पेमेंट कंपनियां या फिर डिजिटल लेन-देन की सुविधा मुहैया कराने वाली कंपनियां सेवा की कीमत का एक हिस्सा सर्विस चार्ज के रूप में वसूलती हैं। कार्ड कंपनियों के संदर्भ में इसे मर्चेंट डिस्काउंट रेट यानी एमडीआर भी कहा जाता है। इस बजट में ऑनलाइन टिकट बुक कराने पर आईआरसीटीसी की ओर से टिकट बुक कराने पर लगने वाले सर्विस चार्ज को खत्म करने का प्रस्ताव है। इससे आईआरसीटीसी को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।

कार्ड कंपनियो की बात करें तो वहां पर डेबिट कार्ड (आपके बैंक खाते से सीधा जुड़ा हुआ कार्ड) और क्रेडिट कार्ड (उधारी पर खर्च की सुविधा देने वाला) से लेन-देन पर वो सर्विस चार्ज वसूलती हैं। यही पैसा जब व्यापारियों से लिया जाता है तो वो मर्चेंट डिस्काउंट रेट बन जाता है। डेबिट कार्ड पर सर्विस चार्ज की मौजूदा व्यवस्था के तहत 31 मार्च तक

  • 1000 रुपपे तक के लेन-देन पर ज्यादा से ज्यादा 0.25 फीसदी यानी ढ़ाई रुपये का सर्विस चार्ज लगेगा।
  • 1000 रुपये से ज्यादा लेकिन 2000 रुपये से कम पर सर्विस चार्ज 0.5 फीसदी यानी ज्यादा से ज्यादा 10 रुपये हो।
  • 2000 रुपये से ज्यादा के लेन-देन पर पहले की ही तरह 1 फीसदी की दर से सर्विस चार्ज लगेगा
  • नयी दरें 31 मार्च तक लागू होंगी।

क्रेडिट कार्ड पर सर्विस चार्ज को लेकर कोई ऊपरी सीमा फिलहाल तय नहीं। सरकार मानती है कि क्रेडिट कार्ड एक तरह की विशेष सुविधा है जिसमें उधारी पर खर्च किया जाता है। लिहाजा इस पर कार्ड कंपनियां सर्विस चार्ज लगाने के लिए स्वतंत्र है। क्रेडिट कार्ड पर सर्विस चार्ज दो से ढ़ाई फीसदी तक होता है।

बहरहाल कार्ड चाहे डेबिट हो या क्रेडिट, दोनों पर ही बड़े व्यापारी आसानी से सर्विस चार्ज वहन कर लेते हैं, क्योंकि ये उनके मार्जिन में शामिल होता है और वहां आम लोगों को अलग से पैसा नहीं देना होता। लेकिन जहां मार्जिन कम हो, जैसे पेट्रोल पम्प, वहां पर डीलर का मार्जिन इतना ज्यादा नहीं होता जिससे कि वो सर्विस चार्ज का बोझ उठा सके। इसीलिए अभी ये बोझ तेल मार्केटिंग कंपनियां और कार्ड जारी करने वाली संस्था मिलकर उठा रही हैं।

सर्विस चार्ज में सबसे बड़ा मुद्दा डेबिट कार्ड को लेकर आता है। चूंकि डेबिट कार्ड के जरिए अपने बैंक खाते में जमा रकम का इस्तेमाल होता है, इसीलिए लोगों की शिकायत होती है कि खुद के पैसे खर्च करने के लिए कोई सर्विस चार्ज क्यो दिया। दूसरी ओर बैंक और कार्ड पेमेंट कंपनियों का कहना होता है कि उन्होने भुगतान के लिए बुनियादी सुविधा विकसित की है जिस पर खर्च होता है।

ये भी उनके व्यवसाय का एक हिस्सा है जिसके जरिए लोगों को बगैर नगद खरीदारी की सुविधा मिलती है। लिहाजा उन्हे इसकी कीमत मिलनी चाहिए। इस बीच, मुख्यमंत्रियों की समिति ने सर्विस चार्ज पूरी तरह से खत्म करने की सिफारिश की थी।

(By: शिशिर सिन्हा)

Source: ABP News

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