केंद्रीय एमएसएमई मंत्री कलराज मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में कई राज्यों के मुख्यमंत्री और इंडस्ट्री मिनिस्टर सहित सेक्रेटरीज और इंडस्ट्रीज बॉडी भी शामिल होंगी। जिनमें फिसमे, लघु उद्योग भारती और TANSTIA आदि प्रमुख हैं।
बैठक का मुख्य एजेंडा नेशनल एमएसएमई पॉलिसी को लेकर बनाई गई एक सदस्यीय प्रभात कुमार कमेटी के रिपोर्ट पर चर्चा होगी। इसके साथ ही 2012 से लागू और 2015 से अनिवार्य की गई प्रोक्योरमेंट पॉलिसी पर भी चर्चा होगी जिसमें की रक्षा क्षेत्र की पब्लिक सेक्टर कंपनियों के द्वारा MSME से अनिवार्य खरीद भी शामिल है। गौरतलब है कि सरकार द्वारा प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के तहत 20 फीसदी खरीद MSME इकाइयों से अनिवार्य किये जाने के बाद भी कई PSUs खरीद का कोटा पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
इसके अलावा मीटिंग में MSMED Act-2006 के तहत एमएसएमई इन्वेस्टमेंट लिमिट में बदलाव पर भी चर्चा होगी। जिसकी मांग बहुत दिनों से की जा रही है और हाल ही में प्रभात कुमार कमेटी ने भी इस लिमिट को बढ़ाने का सुझाव दिया है। जिसमें मैन्युफैक्चरर और सर्विस सेक्टर के अलग-अलग लिमिट बताई गई हैं।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए लिमिट
कैटेगिरी वर्तमान इन्वेस्टमेंट लिमिट कमेटी की सिफारिश
माइक्रो 25 लाख रुपए तक 50 लाख रुपए तक
स्मॉल 25 लाख से 5 करोड़ रुपए तक 50 लाख 7 करोड़ रुपए तक
मीडियम 5 से 10 करोड़ रुपए तक 7 से 25 करोड़ रुपए तक
सर्विस सेक्टर के लिए लिमिट
कैटेगिरी वर्तमान इन्वेस्टमेंट लिमिट कमेटी की सिफारिश
माइक्रो 10 लाख रुपए तक 25 लाख रुपए तक
स्मॉल 10 लाख से 2 करोड़ रुपए तक 25 लाख से 4 करोड़ रुपए तक
मीडियम 2 से 5 करोड़ रुपए तक 4 से 15 करोड़ रुपए तक
इसके अलावा कमेटी ने एक अहम सिफारिश करते हुए कहा है कि एमएसएमई कैटेगिरी के लिए इन्वेस्टमेंट लिमिट समय-समय पर बढ़ाई जाए और केंद्र सरकार के पास यह लिमिट बढ़ाने का अधिकार हो।
इन्वेस्टमेंट लिमिट बढ़ाने के लिए संसद की मंजूरी की बाध्यता को समाप्त किया जाए। ऐसा करने के लिए कमेटी ने एमएसएमई डेवलपमेंट एक्ट 2006 में संशोधन की सिफारिश की है।