बजट 2017: धारावी के चमड़ा उद्योग के छोटे कारोबारी चाहते हैं मिले बड़ी राहत


सिर्फ तीन दिन बाद 1 फरवरी को बजट पेश होना है। सुक्ष्म, लघु और मझौले आकार के उद्योग यानी MSME सेक्टर जिसपर नोटबंदी की सबसे ज्यादा मार पड़ी है, को बजट से सबसे अधिक उम्मीदें हैं। माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) यानी छोटे और बेहद छोटे उद्योगों का असली हाल जानना है तो धारावी […]


textile and leather sectors,सिर्फ तीन दिन बाद 1 फरवरी को बजट पेश होना है। सुक्ष्म, लघु और मझौले आकार के उद्योग यानी MSME सेक्टर जिसपर नोटबंदी की सबसे ज्यादा मार पड़ी है, को बजट से सबसे अधिक उम्मीदें हैं।

माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) यानी छोटे और बेहद छोटे उद्योगों का असली हाल जानना है तो धारावी की एक झुग्गी बस्ती से समझते हैं। मुंबई के बीचों बीच बसी धारावी दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है तो दूसरी ओर ये चमड़े के कारोबार के लिए मशहूर है।

धारावी में 50 हजार से ज्यादा चमड़े के कारखाने हैं। यहां आपको सस्ते से सस्ता और महंगे से महंगा चमड़े का सामान मिल जाएगा। फिलहाल नोटबंदी ने चमड़ा कारोबार से जुड़े लोगों की हालत खराब कर रखी है। धारावी में काम करने वाले लोगों पर नोटबंदी का खासा असर देखा गया है। यहां के एक कारखाने का कहना है कि उनके कारखाने में अभी 5 लोग काम कर रहे हैं, जबकि नोटबंदी के पहले 12 लोग काम करते थे।

1 फरवरी के दिन आने वाले आम बजट से धारावी के चमड़ा कारोबारी अब चाहते हैं कि कम से कम बजट में ऐसे ऐलान हों जिससे चमड़ा कारोबार में फिर से रौनक लौटे।

Source: ABP News

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