बैंकिंग कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी देने के बाद सरकार एक अन्य कदम पर विचार कर रही है। इसके तहत बढ़ते फंसे कजरें यानी एनपीए की समस्या से त्वरित समाधान के लिए सरकार केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को घाटे वाली परियोजनाओं का परिचालन अपने हाथों में लेने की अनुमति ले सकती है।
समस्याग्रस्त परियोजनाओं के अधिग्रहण को आसान बनाने के लिए कैबिनेट सचिवालय तमाम प्रशासनिक मंत्रलयों और बैंकों के अधीन विभिन्न केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के बीच समन्वय बनाएगा। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई बैठक में फंसे कर्जो के मसले पर चर्चा हुई थी। इस समस्या के समाधान के लिए जिन उपायों पर चर्चा हुई, उनमें समस्याग्रस्त परियोजनाओं की संपत्तियां उपक्रमों को ट्रांसफर करने का विकल्प भी शामिल था।
सूत्रों के अनुसार इस उच्चस्तरीय बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ कैबिनेट सचिव पी. के. सिन्हा, वित्तीय सेवा सचिव अंजुली चिब दुग्गल और मंत्रलय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे।
बैंकों को कहा गया है कि वे विभिन्न सेक्टरों के कुछ बड़े फंसे कर्जो की पहचान करें और उसकी जानकारी संबंधित मंत्रलय को उपलब्ध करायें। सूत्रों के अनुसार संबंधित मंत्रलय त्वरित समाधान निकालने या सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा कुछ फंसे कर्ज अधिग्रहीत किये जाने पर काम करेंगे।
बैंकिंग कानून में संशोधन से प्रभावी समाधान निकलेगा
वित्त मंत्रलय ने उम्मीद जताई है कि बैंकिंग कानून में प्रस्तावित बदलाव से फंसे कर्ज वसूल न होने की समस्या ज्यादा प्रभावी तरीके से सुलझाने में मदद मिलेगी। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को फंसे कर्ज की समस्या दूर करने को बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी थी।
वित्त सचिव अशोक लवासा ने यहां संवाददाता को बताया कि नये संशोधन से कितने फंसे कर्ज की वसूली हो सकेगी, यह बताना अभी मुश्किल है लेकिन यह तय है कि इसके चलते फंसे कर्जो को ज्यादा प्रभावी तरीके से वसूला जा सकेगा। इसके लिए सिस्टम ज्यादा प्रभावी होगी।
कानून के मुताबिक अध्यादेश लाये जाने के छह महीने के भीतर इसे संसद से मंजूरी दिलाना जरूरी होता है। ऐसे में मानसून सत्र शुरू होने पर यह कानून संसद में विचार करने और मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
लवासा ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन से बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक फंसे कर्जो के मामलों को सुलझाने की स्थिति में होंगे।
Source: Jagran.com