भारतीय रिजर्व बैंक, एनपीए अध्यादेश के कार्यान्वयन को लेकर 15 दिनों के अन्दर दिशानिर्देशों को की घोषणा कर सकता है, जिससे कि फँसे हुए कर्ज की वसूली में तेजी लाई जा सके।
सरकार के एक अनुमान के मुताबिक लगभग 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लोन गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में बदल चूका है।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय बैंक के निर्देशों में एनपीए अर्थात बैड लोन से संबंधित मुद्दों की पहचान करने के लिए एक अलग सेल की स्थापना और प्रस्ताव प्रक्रिया के लिए एक निश्चित समय-सीमा प्रदान करने वाला एक क्लॉज़ भी हो सकता है। यह समय-सीमा 60-90 दिनों से हो सकती है।
आरबीआई एक विशेष सेल की स्थापना करने पर भी विचार कर रहा है जो किसी कंपनी के पुनरुद्धार या अधिग्रहण के मामलों की पहचान करेगा। इसके अलावा, यह दिवालियापन और दिवालियापन के लिए एक विशेष मामले का उल्लेख करने के लिए एक बैंक को सुझाव दे सकता है।
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनपीए की समस्या से निपटने के लिए बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन के अध्यादेश को मंजूरी दी थी। उसके बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी अध्यादेश को अपनी सहमति दे दी थी।
इसके साथ ही बैंकिंग रेगूलेशन कानून (1949) में जरुरी बदलावों के लिए भी रास्ता साफ़ हो गया था। इस कानून में दो नए प्रावधान जोड़े गए हैं। जिसके तहत आरबीआई तय समय-सीमा के अंदर एनपीए के हल को लेकर जरुरी निर्देश दे सकेगा। और डिफाल्टर के खिलाफ इन्सॅाल्वेन्सी एंड बैंकरप्सी कोड (किसी को दीवालिया घोषित करना) के तहत कारवाई कर सकता है।