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इकोनॉमिक सर्वे: एक साल में नोट बंदी से उबर जायेगा देश, बढेंगी नौकरियां, आ सकती है बेसिक इनकम स्कीम

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संवाद के साथ शुरु हुए बजट सत्र के साथ ही देश का आर्थिक सर्वे पेश हो चुका है। जिसका प्रस्तुतीकरण वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किया। सर्वे में कहा गया कि देश की अर्थव्यवस्था आगामी साल में तेज गति से बढ़ेगी। सरकार ने माना कि नोटबंदी का बुरा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। इस इकनॅामिक सर्वे में चालू वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान 6.75% से 7.5% की दर से बताया गया है। वहीं वैश्विक स्तर पर मांग में उछाल से वित्त वर्ष 2017-18 में तेज आर्थिक वृद्धि होगी।

बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से 9 फरवरी तक दूसरा 9 मार्च से 12 अप्रैल तक चलेगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी से कृषि सेक्टर प्रभावित हुआ है जिसकी समीक्षा की जाएगी। सर्वे में अर्थव्यवस्था के लिए तीन बड़े खतरों का जिक्र किया गया है-

नोटबंदी का असर कृषि सेक्टर पर पड़ेगा साथ ही देखना होगा कि अगले मानसून पर अर्थव्यवस्था का क्या असर पड़ेगा। कैशकी कमी की वजह से किसानों को परेशानी हुई है।

क्रूड कीमतों में उछाल को जीडीपी के लिए बड़ा खतरा बताया गया। साल 2017-18 में क्रूड में हुयी गिरावट का फायदा मिलना बंद हो जायेगा।

क्रूड के दाम में वृद्धि के चलते रिजर्व बैंक से रेट कट की उम्मीद खत्म हो गई है।

आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि नोटबंदी से पैदा हुई नकदी की समस्या इस साल अप्रैल  तक खत्म हो जाएगी। कच्चे तेल के दाम 65 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाते हैं तो वैश्विक बाजार में तेल के दाम बढ़ सकते हैं।

इकोनोमिक सर्वे में तीन सेक्टर्स फर्टिलाइजर, सिविल एविएशन और बैंकिंग के निजीकरण की आवश्यकता को जरुरी बताया गया। सरकार ने  नीतियों को सही समझा तो कृभको, एयर इंडिया, पवन हंस जैसी कंपनियों का प्राइवेटाइजेशन (निजीकरण) भी हो सकता है।

सर्वे में श्रम और कर नीतियों में बदलाव करने के लिए कहा गया है, जिससे कि परिधान और चमड़ा क्षेत्र को बढ़ावा मिले और विश्वस्तर पर चुनौतियों का सामना कर सके।

साल 2016-17 में सेवा क्षेत्र में 8.9% और औद्योगिक क्षेत्र में 5.2% की दर से वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। पिछले वित्त वर्ष में इंडस्ट्री सेक्टर ने 7.4% की दर से वृद्धि की थी। मौजूदा वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र के 4.1 प्रतिशत की दर से बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद जतायी गयी है। जो कि पिछले वर्ष की तुलना 1.2 फीसदी अधिक है।

सर्वे में कहा गया है कि चालू वर्ष 2017-18 में श्रम और रोजगार क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होगी और अधिक नौकरियां पैदा होंगी। सर्वे में सेंट्रलाइज्ड पब्लिकर सेक्टर ऐसेट रीअबिलिटेशन एजेंसी की स्थापना के लिए भी कहा गया है।

वित्त मंत्री ने रियल एस्टेट सेक्टर के दाम और गिरने के संकेत दिये है। सर्वे ने देश में गरीबी को मिटाने के लिए एक यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) स्कीम को लाने के लिए कहा गया है। यूबीआई को सब्सिडी खत्म करने के विकल्प के तौर पर पेश किया जा सकता है। सर्वे के तहत मौजूदा समय में वित्त वर्ष में महंगाई औसतन 5 फीसदी है।

चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (सीईए) ने सर्वे में नोटबंदी के निगेटिव असर को कम करने के लिए डिजिटलाइजेशन को बढ़ाने की बात कही है। साथ ही यह डिजिटल पेमेंट्स पर इंसेंटिव आधारित प्लान की सिफारिश भी की है।

विदेशी कर्ज को लेकर कहा गया है कि सितंबर 2016 तक भारत पर विदेशी कर्ज 484.3 अरब डॉलर था। यह मार्च 2016 की तुलना में 0.8 अरब डॉलर कम है।

इकोनॉमिक सर्वे पेश होने के बाद चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्‍यम ने कहा कि कैश विद्ड्रॉअल पर किसी तरह की पेनल्टी नहीं लगनी चाहिए।  पेनल्टी से जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा।

चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर के अनुसार इकोनॉमी को लेकर एक और रिव्यू गर्मियों में किया जाएगा।

Image Courtesy: Money Bhaskar