छोटे कारोबारियों को मोदी सरकार बड़ी राहत दे सकती है। अब 25 करोड़ रुपए तक की इन्वेस्टमेंट लिमिट वाले कारोबारियों को (एसएमई) कैटेगिरी में शामिल किया जा सकता है।
अभी यह लिमिट 10 करोड़ रुपए है, लेकिन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) के लिए नेशनल पॉलिसी बना रही एक सदस्यीय कमेटी ने सिफारिश की है कि एमएसएमई कैटेगिरी के लिए इन्वेस्टमेंट लिमिट बढ़ाई जाए।
इससे उन कारोबारियों को भी एसएमई को मिलने वाले इन्सेंटिव मिल सकेंगे, जो इन्वेस्टमेंट अधिक करने पर इस दायरे से बाहर निकाल जाते थे।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए क्या है सिफारिश
कैटेगिरी वर्तमान इन्वेस्टमेंट लिमिट कमेटी की सिफारिश
माइक्रो 25 लाख रुपए तक 50 लाख रुपए तक
स्मॉल 25 लाख से 5 करोड़ रुपए तक 50 लाख 10 करोड़ रुपए तक
मीडियम 5 से 10 करोड़ रुपए तक 10 से 25 करोड़ रुपए तक
सर्विस सेक्टर के लिए क्या है सिफारिश
कैटेगिरी वर्तमान इन्वेस्टमेंट लिमिट कमेटी की सिफारिश
माइक्रो 10 लाख रुपए तक 25 लाख रुपए तक
स्मॉल 10 लाख से 2 करोड़ रुपए तक 25 लाख से 4 करोड़ रुपए तक
मीडियम 2 से 5 करोड़ रुपए तक 4 से 15 करोड़ रुपए तक
संसद से न लेनी पड़े मंजूरी
कमेटी ने एक अहम सिफारिश करते हुए कहा है कि एमएसएमई कैटेगिरी के लिए इन्वेस्टमेंट लिमिट समय-समय पर बढ़ाई जाए और केंद्र सरकार के पास यह लिमिट बढ़ाने का अधिकार हो। इन्वेस्टमेंट लिमिट बढ़ाने के लिए संसद की मंजूरी की बाध्यता को समाप्त किया जाए। ऐसा करने के लिए कमेटी ने एमएसएमई डेवलपमेंट एक्ट 2006 में संशोधन की सिफारिश की है।
एक्ट में कहा गया है कि एमएसएमई के लिए इन्वेस्टमेंट लिस्ट में बदलाव के लिए संसद से मंजूरी लेनी होगी। उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने पहले इन्वेस्टमेंट लिमिट में बदलाव की कोशिश की थी, लेकिन उसे संसद की मंजूरी नहीं मिल पाई थी।
क्या है मामला
छोटे कारोबारियों को केंद्र और राज्य सरकारें कई तरह की सुविधाएं देती हैं। यही वजह है कि अलग-अलग कैटेगिरी की परिभाषा तय की जाती है। इसे ही इन्वेस्टमेंट लिमिट कहा जाता है।
अब तक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 10 करोड़ और सर्विस सेक्टर में 5 करोड़ रुपए से अधिक इन्वेस्टमेंट होने पर कारोबारियों को मीडियम कैटेगिरी से बाहर कर कर दिया जाता है। यानी कि उन्हें लार्ज कैटेगिरी में डाल दिया जाता है। साथ ही, उन्हें दी जा रही सुविधाएं भी समाप्त कर दी जाती है।
क्या होता है फायदा
केंद्र सरकार की ओर से एमएसएमई सेक्टर को कई फायदे दिए जाते हैं। जैसे कि उन्हें 2 करोड़ रुपए तक का लोन बिना गारंटी दिया जाता है। उन्हें ग्रांट व सब्सिडी भी दी जाती है।
पब्लिक प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के तहत सभी सरकारी कंपनियों व विभागों को अपनी कुल खरीद का 20 फीसदी हिस्सा एमएसएमई सेक्टर से खरीदना अनिवार्य है।
यह भी फिक्स है कि उन्हें एक तय समय के भीतर खरीद के बदले पेमेंट नहीं की जाती है तो सरकार दखल कर सकती है। सरकार अकसर उनके प्रमोशन व सपोर्ट के लिए कई तरह की स्कीम चलाती रहती है। जैसे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छोटे कारोबारियों को आसानी से लोन देने के लिए मुद्रा स्कीम शुरू की है।
Source: Money Bhaskar