यूनिवर्सल बेसिक इनकम और सब्सिडी एक साथ नहीं चल सकतेः वित्त मंत्री


1 फरवरी को पेश हुए बजट 2017-18 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यूनिवर्सल बेसिक इनकम का जिक्र तक नहीं किया जिससे आर्थिक जानकारों को हैरानी हुई है। चूंकि 31 जनवरी को जारी किए गए साल आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में यूनिवर्सल बेसिक इनकम या सभी को दी जाने वाली एक बुनियादी आमदनी की बात काफी […]


Arun Jaitley1 फरवरी को पेश हुए बजट 2017-18 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यूनिवर्सल बेसिक इनकम का जिक्र तक नहीं किया जिससे आर्थिक जानकारों को हैरानी हुई है। चूंकि 31 जनवरी को जारी किए गए साल आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में यूनिवर्सल बेसिक इनकम या सभी को दी जाने वाली एक बुनियादी आमदनी की बात काफी विस्तार से कही गई थी। इसके तहत मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने सुझाव दिए हैं देश से सारी सब्सिडी को धीरे-धीरे हटाया जाए और हर नागरिक के लिए एक निर्धारित आमदनी हर महीने सुनिश्चित की जाए।

हालांकि कल बजट में यूबीआई का जिक्र ना करने के बाद दूरदर्शन को दिए एक इंटरव्यू में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में कई आइडिया भविष्‍य के लिए दिए जाते हैं। उनको बजट में तुरंत लागू करना संभव नहीं है। यूबीआई भी भविष्‍य का आइडिया है और इस पर चर्चा होगी फिर इस पर सरकार फैसला ले पाएगी। यूनिवर्सल बेसिक इनकम के लिए पहले सब्सिडी को हटाना होगा क्योंकि जरूरी चीजों पर सब्सिडी और यूनिवर्सल बेसिक इनकम देश में एक साथ नहीं चल सकते हैं। इसके लिए सरकार को जरूरी संसाधन भी जुटाने होंगे।

भारतीय अर्थव्यवस्था अभी इतनी परिपक्व नहीं हुई है कि इसमें यूनिवर्सल बेसिक नकम जैसे बड़े लक्ष्य के लिए सब्सिडी छोड़ी जा सके। लोगों को कई तरह की सब्सिडी मिल रही हैं और इनको खत्म करने के लिए लंबी योजनाएं बनानी होंगी। यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम से गरीबी हटाने में मदद मिलेगी और देश के 20 करोड़ लोगों को इसका फायदा मिलेगा लेकिन इसे लागू करना फिलहाल संभव नहीं है।

क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम
यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम के तहत देश के हर नागरिक के लिए हर महीने एक निर्धारित आमदनी सुनिश्चित की जायेगी. इसके लिए सरकार व्यवस्था करती है और बिना शर्त नागरिकों को एक निश्चित आमदनी मुहैया कराती है।

कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकार को इसे लागू करने के लिए राजस्व की जरूरत होगी। क्योंकि यूनिवर्सिल बेसिक इनकम एक तरह का बेरोजगारी बीमा है जो हर किसी को नहीं दिया जा सकता। हर किसी को बेसिक इनकम देने लायक पैसा तो सरकार के पास नहीं है तो सरकार को इसके लिए कुछ न कुछ तो पैमाने तय करने होंगे। जानकारों के मुताबिक जीडीपी का 3 से 4 फीसदी खर्च आएगा ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ स्कीम को लागू करने पर जीडीपी का 3 से 4 फीसदी खर्च आएगा, जबकि अभी कुल जीडीपी का 4 से 5 फीसदी सरकार सब्सिडी देने में खर्च कर रही है। तो अगर सरकार ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ स्कीम को लागू करती भी है तो इसका लंबी अवधि में फायदा ही देखने को मिलेगा।

Source: ABP News

No Comments Yet

Leave a Reply

Your email address will not be published.

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>


*