वित्त मंत्री अरुण जेटली आज संसद में वित्त वर्ष 2017-18 का इकोनॉमिक सर्वे पेश करेंगे। इस साल के इकोनॉमिक सर्वे में बेसिक इनकम पर एक चैप्टर भी हो सकता है। इससे यह पता चलेगा कि बेसिक इनकम को लेकर मोदी सरकार का क्या रुख है। इकोनॉमिक सर्वे देश की इकोनॉमी की सेहत को दिखाता है। बजट से पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश करने की परंपरा है। सर्वे से आने वाले बजट के बारे में संकेत मिलते हैं। इस बार नोटबंदी के बाद देश की इकोनॉमी पर हुए असर का सही अनुमान मालूम चल सकता है।
क्या है बेसिक इनकम स्कीम?
यूनिवर्सिल बेसिक इनकम स्कीम का प्रपोजल लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गाय स्टैंडिंग ने तैयार किया है। प्रोफेसर गाय कि सरकार इसे फेज वाइज लागू कर सकती है। सर्वे में इसका चैप्टर शामिल हो सकता है।
मोदी सरकार देश के हर नागरिक को आमदनी के तौर पर एक तयशुदा रकम या एक फिक्स सैलरी उपलब्ध कराने की योजना लाने की तैयारी में है।
इसे यूनिवर्सल बेसिक इनकम नाम दिया गया है। बजट में मोदी सरकार इस स्कीम का एलान कर सकती है।
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, बेसिक इनकम स्कीम सबके लिए नहीं होगी। जो लोग बेरोजगार हैं या जिनके पास इनकम का जरिया नहीं है, मोदी सरकार उन लोगों के लिए यह स्कीम शुरू कर सकती है।
आकलन के अनुसार इस स्कीम में देश के 20 करोड़ जरूरतमंदो को लाभ मिल सकता है।
सर्वे में यह 5 प्वाइंट भी हो सकते हैं:-
नोटबंदी का असर: सीएसओ की तरफ से पहले एस्टीमेट में नोटबंदी के असर को शामिल नहीं किया गया था। इकोनॉमिक सर्वे में नोटबंदी के चलते जीडीपी ग्रोथ पर हुए असर के आंकड़े सामने आ सकते हैं।
डिजिटल इकोनॉमी: मोदी सरकार डिजिटल इकोनॉमी को प्रमोट करने में जुटी है। इकोनॉमी सर्वे में इसको लेकर डिटेल पॉलिसी और उपायों का जिक्र हो सकता है।
ब्लैकमनी: नोटबंदी के चलते मोदी सरकार ने ब्लैकमनी खत्म करने की कोशिश की। सर्वे में इस बात का संकेत मिल सकता है कि सरकार आने वाले दिनों में ब्लैकमनी के मामले में कैसे कदम उठा सकती है।
ट्रम्प इफेक्ट: ट्रम्प का भारतीय इकोनॉमी और कंपनियों पर क्या असर हुआ है, इसकी झलक इकोनॉमिक सर्वे में दिखाई पड़ सकती है। ट्रम्प की वीजा पॉलिसी से भारतीय आईटी कंपनियों की मुश्किलें बढ़ी हैं। वहीं, भारत की एक्सपोर्ट बढ़ाने की चिंताएं बनी हुई हैं।
डिजिटल होगा सर्वे: इस बार इकोनॉमिक सर्वे डिजिटल होगा। सरकार सर्वे और बजट की कुछ ही हार्ड कॉपी प्रिंट करेगी। दोनों की कॉपियां संसद में पेश होने के बाद फाइनेंस मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर उपलब्ध होंगी।
इकोनॉमिक सर्वे क्या है?
इकोनॉमिक सर्वे अर्थव्यवस्था की आधिकारिक रिपोर्ट होती है और इस डॉक्यूमेंट को बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है।
इकोनॉमिक सर्वे देश की इकोनॉमी के लिए भविष्य में बनाई जाने वाली स्कीम्स और पॉलिसी के लिए एक आधार होता है। इसमें देश की इकोनॉमी और पॉलिसी से जुड़े चैलेंजेज का डिटेल ब्योरा होता है। सरकार इसमें इकोनॉमी में तेजी या सुस्ती की वजहें बताती है। इंडस्ट्री के जरूरी सेक्टर के लिए सुधार के उपायों का एनालिसिस और रोडमैप भी होता है। सीधे शब्दों में कहें तो इकोनॉमिक सर्वे भारत सरकार का फ्लैगशिप एनुअल डॉक्यूमेंट है। यह पिछले 12 महीनों में इंडियन इकोनॉमी में घटनाक्रमों की समीक्षा करता है। इस साल इकोनॉमिक सर्वे में बेसिक इनकम पर एक चैप्टर हो सकता है।
कौन तैयार करता है इकोनॉमिक सर्वे?
चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (सीईए) की टीम इकोनॉमिक सर्वे तैयार करती है। देश के सीईए अरविंद सुब्रहमण्यम ने इस बार का सर्वे वित्त मंत्री अरुण जेटली को दिया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली सर्वे पेश करेंगे। अगले दिन बजट 2017-18 पेश किया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर ही बजट के सारे एलान भी किए जाते हैं लेकिन सरकार इस सर्वे की सिफारिशों को मानने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य नहीं है। सर्वे को सिर्फ पॉलिसी बनाने के लिए एक सुझाव या सिफारिश के रूप लिया जाता है।
इस सर्वे के माध्यम से इकोनॉमिक ग्रोथ रेट का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इसमें पर्याप्त कारणों के साथ यह बताने की कोशिश की जाती है कि क्यों आगामी वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी या फिर धीमी रहेगी।
Source: Money Bhaskar