भारतीय इंडस्ट्रीज आने वाले आम बजट में कंपनी टैक्स में कटौती और डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन दिये जाने सहित कई उम्मीदें रख रही है. इंडस्ट्री चाहती है कि वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में कॉरपोरेट इनकम टैक्स दरों को कम और डिजिटल लेनदेन पर प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये. इस साल पहली बार आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जा रहा है.
इंडस्ट्री चाहती है कि सरकार बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान केंद्रित करे. आधार व्यापक बनाने के उपाय करे और खपत बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत आयकर की दरों में भी कमी लाये.
वित्त मंत्री अरुण जेटली से इंडस्ट्री कई तरह के कदम उठाये जाने की उम्मीद कर रही है जिनसे उद्योग जगत के लिए विकास करना सरल हो सके. मुकदमेबाजी को कम करने के लिए मौलिक कदम उठाए जाएं और विवाद निपटान व्यवस्था को मजबूत किया जाए. सरकार को बजट में कॉर्पोरेट कर की दर को कम कर 18 फीसदी करना चाहिए.
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा, “पिछले साल से सरकार ने कॉरपोरेट कर की दरों को कम करना शुरू किया है. इसे 2020 तक 25 फीसदी पर लाया जाना है. हालांकि, इसकी रफ्तार काफी धीमी है और सिर्फ कुछ ही कंपनियां इस नई टैक्स व्यवस्था में आ पाईं हैं. हम चाहेंगे कि बजट में इस प्रक्रिया को तेज किया जाये.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कर्ज पर ब्याज दरें कम होनीं चाहिये, हाउसिंग जैसे सेक्टर्स के लिये वित्तपोषण को सरल बनाया जाना चाहिये. इस तरह के कदमों से व्यावसायिक समुदाय में विश्वास बढ़ेगा और निवेश मांग को भी बढ़ावा मिलेगा.”
पटेल ने कहा कि उपभोक्ता खर्च बढ़ाने और कर अनुपालन को प्रोत्साहन के लिए व्यक्तिगत आयकर की दरों में भी कमी लाई जानी चाहिये. खासतौर से नोटबंदी के बाद मांग एंव खपत में कुछ समय के लिये दिक्कतें पैदा हुईं तो उसे देखते हुये इस तरह के कदम अहम होंगे. मौजूदा समय में कंपनी टैक्स की दर 30 फीसदी है, इसके ऊपर सरचार्ज भी लगते हैं जिसे मिलाकर यह 34 फीसदी से अधिक बैठता है.
वहीं एसोचैम का मानना है कि ‘‘नोटबंदी के बावजूद टैक्स रेवेन्यू में अच्छी बढ़त देखने को मिली है. सरकार के सामने प्रमुख चुनौती शहरी मांग को बढ़ाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की होगी.’’ एसोचैम ने महंगाई की संभावना को भी कम होने की उम्मीद जताई है लेकिन इसे कई फसलों में बढ़ने की नजर से देखा जाना चाहिए. खासकर सब्जियों के मामले में उत्पादन अधिक रहने और नवंबर में नकद निकासी पर जारी प्रतिबंधों के परिपेक्ष में इसे देखा जाना चाहिये.’’
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) का कहना है, “नोटबंदी के बाद अधिक आर्थिक गतिविधियां टैक्स दायरे में आएंगी. ऐसे में सरकार को बजट में कॉर्पोरेट कर की दर को कम कर 18 फीसदी करना चाहिए.”
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2015 के बजट में कॉर्पोरेट टैक्स रेट को चार साल में 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करने की घोषणा की थी. इसके साथ ही उन्होंने कंपनियों को दिये जाने वाले कई तरह के छूट और कटौतियों को भी खत्म करने की बात की है.
Source: ABP News